शादी होती है। हम बदलते हैं। बहुत कुछ जानते-समझते हैं। चाहे अनचाहे बहुत कुछ स्वीकार भी करते हैं। और इस तरह गृहस्थी की गाड़ी जीवन की पटरी पर दौड़ती रहती है। फिर भी हम दांपत्य के बारे में बहुत कुछ नहीं जान पाते। अगर इस रिश्ते के ये रहस्य हम जान लें तो शायद गृहस्थी की गाड़ी बिना अवरोध के सरपट दौड़ सकेगी।
जानने से कुछ नहीं होता
आपने ख़ुशहाल दांपत्य पर किताबें पढ़ रखी हैं, आप इसके सारे सिद्धांत जानते हैं, आपने दोस्तों/सखियों से भी उनकी सुखी गृहस्थी के सूत्र जाने हैं, फिल्म और टीवी से भी काफ़ी कुछ सीखा है। लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं है। जब तक आप इस जानकारी को आज़माएंगे नहीं, यह किसी काम की नहीं। यानी क्रोध के दुष्परिणामों के बारे में जानना एक बात है और स्वयं को गुस्सा होने से रोकना दूसरी बात। जब आप जानकारियों को अपने आचरण में लागू करेंगे, तब ही जानेंगे कि आपके जीवनसाथी पर किस बात का कितना असर पड़ता है। हो सकता है कि किसी महिला का पति अच्छे खाने से ख़ुश रहता हो, परंतु यह बात सारे पतियों पर लागू नहीं होती।
रिश्ता हमें बेहतर बनाता है
पति-पत्नी जैसा कोई और रिश्ता नहीं है, जो हमें इतना अधिक बदल और सिखा सकता है। जाने-अनजाने में हम कई मामलों में तो पूरी तरह बदल जाते हैं। यह हमें दो अलग-अलग अभिमत को मान्यता देना सिखाता है, अन्यथा हमारी सारी बातचीत बहसबाज़ी में बदल जाए। भले ही जीवनसाथी के बारे में आपकी राय जो भी हो, वह कितना ही रूखा और अकड़ क्यों न लगता/लगती हो, यदि आप अपने रिश्ते पर नज़रे दौड़ाएंगे, तो समझ जाएंगे कि वह भी एक हद तक बदल चुका है और बेशक आप भी)। यदि हम इसे सकारात्मक रूप में लें, बहुत-सी शिकायतें यूं ही ख़त्म हो जाएंगी।
Bu hikaye Aha Zindagi dergisinin October 2024 sayısından alınmıştır.
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अन्न उपजाए अंग भी उगाए
बायो टेक्नोलॉजी चमत्कार कर रही है। सुनने में भारी-भरकम लगने वाली यह तकनीक उन्नत बीजों के विकास और उत्पादों का पोषण बढ़ाने के साथ हमारे आम जीवन में भी रच बस चुकी है। अब यह सटीक दवाओं और असली जैसे कृत्रिम अंगों के निर्माण से लेकर सुपर ह्यूमन विकसित करने सरीखी फंतासियों को साकार करने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रही है।
इसे पढ़ने का फ़ैसला करें
...और जीवन में ग़लत निर्णयों से बचने की प्रक्रिया सीखें। यह आपके हित में एक अच्छा निर्णय होगा, क्योंकि अच्छे फ़ैसले लेने की क्षमता ही सुखी, सफल और तनावरहित जीवन का आधार बनती है। इसके लिए जानिए कि दुविधा, अनिर्णय और ख़राब फ़ैसलों से कैसे बचा जाए...
जहां अकबर ने आराम फ़रमाया
लाव-लश्कर के साथ शहंशाह अकबर ने जिस जगह कुछ दिन विश्राम किया, वहां बसी बस्ती कहलाई अकबरपुर। परंतु इस जगह का इतिहास कहीं पुराना है। महाभारत कालीन राजा मोरध्वज की धरती है यह और राममंदिर के लिए पीढ़ियों तक प्राण देने वाले राजा रणविजय सिंह के वंश की भी। इसी इलाक़े की अनूठी गाथा शहरनामा में....
पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा
अब तो खुला खेल फ़र्रुखाबादी है। न तो अश्लील दृश्यों पर कोई लगाम है, न अभद्र भाषा पर। बीप की ध्वनि बीते ज़माने की बात हो गई है। बेलगाम-बेधड़क वेबसीरीज़ ने मूल्यों को इतना गिरा दिया है कि लिहाज़ का कोई मूल्य ही नहीं बचा है।
चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श
मर्म चिकित्सा आयुर्वेद की एक बिना औषधि वाली उपचार पद्धति है। यह सिखाती है कि महान स्वास्थ्य और ख़ुशी कहीं बाहर नहीं, आपके भीतर ही है। इसे जगाने के लिए ही 107 मर्म बिंदुओं पर हल्का स्पर्श किया जाता है।
सदियों के शहर में आठ पहर
क्या कभी ख़याल आया कि 'न्यू यॉर्क' है तो कहीं ओल्ड यॉर्क भी होगा? 1664 में एक अमेरिकी शहर का नाम ड्यूक ऑफ़ यॉर्क के नाम पर न्यू यॉर्क रखा गया। ये ड्यूक यानी शासक थे इंग्लैंड की यॉर्कशायर काउंटी के, जहां एक क़स्बानुमा शहर है- यॉर्क। इसी सदियों पुराने शहर में रेलगाड़ी से उतरते ही लेखिका को लगभग एक दिन में जो कुछ मिला, वह सब उन्होंने बयां कर दिया है। यानी एक मुकम्मल यायावरी!
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भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को जीवंत करती है पिछवाई कला। पिछवाई शब्द का अर्थ है, पीछे का वस्त्र । श्रीनाथजी की मूर्ति के पीछे टांगे जाने वाले भव्य चित्रपट को यह नाम मिला था। यह केवल कला नहीं, रंगों और कूचियों से ईश्वर की आराधना है। मुग्ध कर देने वाली यह कलाकारी लौकिक होते हुए भी कितनी अलौकिक है, इसकी अनुभूति के लिए चलते हैं गुरु-शिष्य परंपरा वाली कार्यशाला में....
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अगर आप शाकाहारी हैं तो आप पहले ही 90 फ़ीसदी वीगन हैं। इन अर्थों में वीगन भोजन कोई अलग से अफ़लातूनी और अजूबी चीज़ नहीं। लेकिन एक शाकाहारी के नियमित खानपान का वह जो अमूमन 10 प्रतिशत हिस्सा है, उसे त्यागना इतना सहज नहीं । वह डेयरी पार्ट है। विशेषकर भारत के खानपान में उसका अतिशय महत्व है। वीगन होने की ऐसी ही चुनौतियों और बावजूद उनके वन होने की ज़रूरत पर यह अनुभवगत आलेख.... 1 नवंबर को विश्व वीगन दिवस के ख़ास मौके पर...
सदा दिवाली आपकी...
दीपोत्सव के केंद्र में है दीप। अपने बाहरी संसार को जगमग करने के साथ एक दीप अपने अंदर भी जलाना है, ताकि अंतस आलोकित हो। जब भीतर का अंधकार भागेगा तो सारे भ्रम टूट जाएंगे, जागृति का प्रकाश फैलेगा और हर दिन दिवाली हो जाएगी।
'मां' की गोद भी मिले
बच्चों को जन्मदात्री मां की गोद तो मिल रही है, लेकिन अब वे इतने भाग्यशाली नहीं कि उन्हें प्रकृति मां की गोद भी मिले- वह प्रकृति मां जिसके सान्निध्य में न केवल सुख है, बल्कि भावी जीवन की शांति और संतुष्टि का एक अहम आधार भी वही है। अतः बच्चों को कुदरत से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने के जतन अभिभावकों को करने होंगे। यह बच्चों के ही नहीं, संसार के भी हित में होगा।