खाना यदि स्वादिष्ट ना हो, तो ना तसल्ली होती है और ना ही मजा आता है। भूख जगा देने वाली खुशबू और मुंह में पानी ला देने वाला स्वाद हासिल करने में तमाम मिर्च-मसालों से लेकर भोजन पकाने की तकनीक तक हरेक प्रक्रिया महत्वपूर्ण होती है। यही वजह है कि कम पके या उबले खाने के मुकाबले चिकनाईयुक्त पकवान जैसे पूरी-कचौरी ज्यादा स्वादिष्ट लगते हैं। पर, जरूरत से ज्यादा तेल का सेवन सेहत पर भारी पड़ सकता है, इसलिए जरूरी है कि खाने में तेल संतुलित मात्रा में ही शामिल किया जाए और इस बात का भी ख्याल रखा जाए कि वह उच्च गुणवत्ता वाला ही हो।
कैसे तैयार होता है तेल?
बाजार में तरह-तरह के कुकिंग ऑयल मौजूद हैं, जो सेहत को लेकर अलग-अलग दावे करते हैं। फिर चाहे वह रिफाइंड ऑयल और सरसों का तेल हो या कोई अन्य तेल। ज्यादा विकल्पों में से सही तेल चुनना बड़ा मुश्किल भरा काम हो जाता है। खाने योग्य किसी भी प्रकार के बीजों में विटामिन और खनिज सहित तमाम प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इन बीजों से निकलने वाला पहला तेल वर्जिन या कोल्ड प्रेस्ड ऑयल कहलाता है, जो सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। वहीं, बीजों से और ज्यादा तेल निकालने के लिए जो प्रक्रिया इस्तेमाल में लाई जाती है, वह हेल्दी फैट को नष्ट कर देती है। तेल को ज्यादा दिनों तक इस्तेमाल योग्य रखने और डीप फ्राई के अनुकूल बनाने के लिए उसे काफी ज्यादा प्रोसेस किया जाता है, नतीजतन तेल नुकसानदेह बन जाता है। ऐसा नहीं है कि तेल का सेवन बिल्कुल ही बंद कर देना चाहिए, लेकिन उसकी मात्रा पर नियंत्रण रखना बहुत आवश्यक है। खानपान से जुड़ी आदतों और खाना पकाने के तरीकों में बदलाव लाकर तेल की मात्रा को नियंत्रण में लाया जा सकता है।
पकाने के तरीकों में लाएं बदलाव
Bu hikaye Anokhi dergisinin September 09, 2023 sayısından alınmıştır.
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