यह समझना बड़ी बात नहीं कि किसी को अपनी दुकान चलाने के लिए ज्यादा से ज्यादा दिखना पड़ता है, खासकर, धर्म के मामले में यह बात ज्यादा सटीक बैठती है. भारत में हर गलीमहल्ले में आलूटमाटर की पटरियों जैसे मंदिर खुले हैं. पटरी वाले भगवान से ले कर एसी वाले भगवान तक की यात्रा चंद दिनों में हो जाती है. एसी का भौतिक सुख भगवान का तो पता नहीं पर वहां बैठा अध्यात्मिक पुजारी जरूर लेता है. लोग चाहते न चाहते भी बीच सड़क सिर झुकाते चलते हैं, हाथ जोड़ते हैं, हैसियत से अधिक दान करते हैं, यही रीतिनीति है. यह बात धर्म की ठेकेदारी करने वाले जानते हैं कि भारत में सब से बड़ा व्यापार दानपिंड का है. इस में इन्वैस्टमैंट के नाम पर जीरो और मुनाफा 100 टका.
धर्म की ठेकेदारी चलाने वाले कई डिपार्टमैंटों में बंटे हुए हैं. पुजारीपंडों की बिरादरी, बाबासंतों की बिरादरी, कथावाचकों की बिरादरी और ज्योतिषियों व वास्तुशास्त्रियों की अलग बिरादरी. हैरानी यह कि डिजिटल युग में एक बिरादरी धर्मांध इन्फ्लुएंसर्स की भी उग आई है. काम सब का एक, लोगों को कर्मकांडी और पाखंडी बनाना और इस के एवज में खूब दान जमाना. जैसे रटेरटाए श्लोक और मंत्र पुजारी बांचता है वैसे ही इन्फ्लुएंसर्स भी एक धुन में रटीरटाई बातें करते हैं, कुछ नया नहीं है. पुजारी का दान आटादाल, चावल, घर संपत्ति, पैसा लेना है तो इन्फ्लुएंसर्स का दान फौलोअर्स और सब्सक्राइबर्स की शक्ल में है.
हालफिलहाल ऐसे इन्फ्लुएंसर्स आने लगे हैं जो अपने चैनल पर पाखंड का चूर्ण बांट रहे हैं. इन्हें सुनने वाले काल्पनिक रहस्यों में उलझे हुए हैं. सुनाने वाले अश्वत्थामा के जिंदा होने के गप्पों से ले कर कर्ण के छिपे कवच पर डेढ़दो घंटे की लंबी वीडियो अपलोड कर रहे हैं. ये यह भी दावा कर रहे हैं कि अतीत में लाखों गुरुकुल थे. लेकिन वे यह नहीं बताते कि उन में से पढ़ने का अधिकार कितनों और किन्हें था?
Bu hikaye Mukta dergisinin August 2024 sayısından alınmıştır.
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सुशीला कोई अपवाद नहीं. न ही कोई स्पैशल टैलेंट है. सुशीला को ले कर इंटरनैट पर जो होहल्ला है वह सिर्फ उस के गरीब होने का है. जो गर्व किया जा रहा है उस की गरीबी पर किया जा रहा है. यह गर्व की बात नहीं बल्कि शर्म की बात है कि इस पर हम अपनी पीठ थपथपा रहे हैं.
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टीनएजर को अकसर अपने पेरैंट्स से यह शिकायत होती है कि वे जबरदस्ती अपने डिसिजन उन पर थोप रहे हैं. ऐसे में यह बात समझ लें कि जो अपना पैसा खर्च कर रहा है उस की बात तो आप को सुननी ही पड़ेगी. जब आप कमाने लगें तब अपनी धौंस दिखा सकते हैं.
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