अचानक आ धमका कोविड-19 का प्रकोप शिक्षा के मामले में अब तक की सबसे बड़ी परीक्षा साबित हुआ. इसके चलते लगभग रातोरात ऑनलाइन पढ़ाई की ओर बढ़ने का फैसला करना पड़ा. इतने भारी संकट के मद्देनजर देश ने इस चुनौती का सामना सराहनीय ढंग से किया. हालांकि, धीरे-धीरे जब महामारी के असर के दूसरे पहलू खुले तो पता चला कि वायरस ने कई तरीकों से गहरा नुकसान पहुंचाया है. मसलन, पढ़ाई-लिखाई की खाई को देखिए. एनजीओ प्रथम की सालाना शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर), 2021 में पाया गया कि 2018 और 2021 के बीच बच्चों की बुनियादी पढ़ाई और गणित की समझ के स्तर में काफी गिरावट आई. आर्थिक गैर-बराबरी ने इस खाई को और भी चौड़ा कर दिया. जिन्हें टेक्नोलॉजी सहज उपलब्ध थी, वे तो आगे बढ़ने में कामयाब रहे लेकिन वंचित पृष्ठभूमि के छात्र पिछड़ गए. इन तमाम मामलों ने 2020 में घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर अमल को और भी जरूरी बना दिया. शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि नया पाठ्यक्रम अगले साल तक तैयार हो जाएगा. इस बीच, पाठ्यक्रम सामग्री को 'तर्कसंगत' बनाने की सरकार की कोशिशों पर भारी हंगामा खड़ा हो गया है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin June 14, 2023 sayısından alınmıştır.
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