एक होती है सियासी पैंतरेबाजी और एक होता है मास्टरस्ट्रोक. एकनाथ शिंदे की अगुआई में शिवसेना के 39 विधायकों को तोड़कर महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिराने और अपनी सरकार बनाने के एक साल बाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने फिर से एमवीए पर ऐसा जोरदार प्रहार किया है जिससे वह तिलमिला गई है. उसने बड़े गुपचुप तरीके से विपक्ष के नेता अजित पवार को ही अपने पाले में कर लिया और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) देखती रह गई.
अजित पवार ने 2 जुलाई को एनसीपी के आठ सहयोगियों के साथ महाराष्ट्र के दूसरे उपमुख्यमंत्री (भाजपा के देवेंद्र फडणवीस पहले से ही उपमुख्यमंत्री हैं) के रूप में शपथ ली. इस कदम का उद्देश्य भाजपा के लिए महाराष्ट्र में नए वर्ग के बीच समर्थन जुटाना है. यह भी संयोग है कि यह राजनैतिक घटनाक्रम तब हुआ है जब अजित के चाचा और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार 2024 के आम चुनाव के लिए भगवा पार्टी के खिलाफ देशभर में विपक्ष को एकजुट करने में जुटे हुए हैं. जैसा कि शिंदे ने शिवसेना से विद्रोह के बाद किया था, एनसीपी के बागी गुट ने भी खुद के 'आधिकारिक एनसीपी' होने का दावा ठोक 4 दिया है. अब दोनों ही धड़े खुद को असली एनसीपी बता रहे हैं, दोनों ने आधिकारिक एनसीपी होने का अपना-अपना दावा भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआइ) के सामने पेश किया है. विद्रोही खेमे ने सीनियर पवार (शरद) की जगह अजित को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया है. चुनाव आयोग दोनों पक्षों की दलीलों को तौलने के बाद यह फैसला करेगा कि एनसीपी का आधिकारिक नाम और चुनाव चिह्न (घड़ी) किसे मिलेगा. नई दिल्ली से महाराष्ट्र पर करीबी नजर रखने वाले एक शीर्ष भाजपा नेता कहते हैं, "यह निश्चित रूप से मनोवैज्ञानिक जीत है; अब महाराष्ट्र की हमारी लड़ाई सिमटकर एमवीए गठबंधन के बजाय बस 'कांग्रेस-प्लस' के साथ हो गई है."
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin July 19, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin July 19, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
फिर उसी बुलंदी पर
वनडे विश्व कप के फाइनल में चौंकाने वाली हार के महज सात महीने बाद भारत ने जबरदस्त वापसी की और जून 2024 में टी20 विश्व कप जीतकर क्रिकेट की बुलंदियों एक को छुआ
आखिरकार आया अस्तित्व में
यह एक भूभाग पर हिंदू समाज के स्वामित्व का प्रतीक था. इसके निर्माण से भक्तों को एक तरह की परिपूर्णता और उल्लास की अनुभूति हुई. अलग-अलग लोगों के लिए राम मंदिर के अलग-अलग अर्थ रहे हैं और उसमें आधुनिक भारत की सभी तरह की जटिलताओं- पेचीदगियों की झलक देखी जा सकती है
बंगाल विजयनी
केवल आर. जी. कर और संदेशखाली घटनाक्रमों को गिनेंगे तो लगेगा कि 2024 ममता बनर्जी के लिए सबसे मुश्किल साल था, मगर चुनावी नतीजों का संदेश तो कुछ और ही
सत्ता पर काबिज रहने की कला
सियासी माहौल कब किस करवट बैठने के लिए मुफीद है, यह नीतीश कुमार से बेहतर शायद ही कोई जानता हो. इसी क्षमता ने उन्हें मोदी 3.0 में एक मजबूत स्तंभ के तौर पर स्थापित किया
शेरदिल सियासतदां
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत ने न केवल उनकी पार्टी बल्कि कश्मीर का भी लंबा सियासी इंतजार खत्म कराया. मगर उमर अब्दुल्ला को कई कड़ी परीक्षाओं से गुजरना पड़ रहा—उन्हें व की बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरना है, तो जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलने तक केंद्र से जूझना भी है
शूटिंग क्वीन
मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में बदलाव की शानदार पटकथा लिखी. अटूट इच्छाशक्ति से अतीत की निराशा को पीछे छोड़कर उन्होंने अपना भाग्य गढ़ा
नया सितारा पॉप का
दुनियाभर के विभिन्न मंचों पर धूम मचाने से लेकर भाषाई बंधन तोड़ने और पंजाबी गौरव का परचम फिर बुलंद करने तक, दिलजीत दोसांझ ने साबित कर दिया कि एक सच्चा कलाकार किसी भी सीमा और शैली से परे होता है
बातें दिल्ली के व्यंजनों की
एकेडमिक, इतिहासकार और देश के सबसे पसंदीदा खानपान लेखकों में से एक पुष्पेश पंत की ताजा किताब फ्रॉम द किंग्ज टेबल टु स्ट्रीट फूड: अ फूड हिस्ट्री ऑफ देहली में है राजधानी के स्वाद के धरोहर की गहरी पड़ताल
दो ने मिलकर बदला खेल
हेमंत और कल्पना सोरेन ने झारखंड के राजनैतिक खेल को पलटते हुए अपनी लगभग हार की स्थिति को एक असाधारण वापसी में बदल डाला
बवंडर के बीच बगूला
आप के मुखिया के लिए यह खासे नाटकीय घटनाक्रम वाला साल रहा, जिसमें उनका जेल जाना भी शामिल था. अब जब पार्टी लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए दिल्ली पर राज करने की निर्णायक लड़ाई लड़ रही, सारी नजरें उन्हीं पर टिकीं