वह भी चुनावी साल में इस बार पार्टी की मुश्किलें 54 वर्षीय राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने बढ़ाई हैं, जो कभी खुद को मुख्यमंत्री का बेहद भरोसेमंद बताते थे और अब उनके आलोचक बन गए हैं. उन्हें 21 जुलाई को राज्य मंत्री के पद से बर्खास्त किया गया. उसके तीन दिन बाद विधानसभा में एक बेहद अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब गुढ़ा गहलोत को 'बेनकाब' करने की धमकी देते हुए वहां पहुंचे.
मुख्यमंत्री गहलोत अक्सर आरोप लगाते रहे हैं कि पायलट, जो उस समय उपमुख्यमंत्री और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे, ने जून 2020 में राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस उम्मीदवारों की हार सुनिश्चित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिलाया और फिर नाकाम होने पर उनकी सरकार गिराने की कोशिश की लेकिन अब गुढ़ा के लगाए अपुष्ट आरोपों ने मुख्यमंत्री के आरोप की दिशा ही पूरी तरह पलट दी है. 24 जुलाई को गुढ़ा एक 'लाल डायरी' लेकर विधानसभा पहुंचे और दावा किया कि यह गहलोत के भरोसेमंद सहयोगी और राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ की है. उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें 500 करोड़ रुपए के वित्तीय लेनदेन का ब्योरा है, जिसमें राजस्थान सरकार की तरफ से राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान के लिए विधायकों को खरीद-फरोख्त की कोशिश में इस्तेमाल हुई रकम का भी जिक्र है. जाहिर है, इस आरोप के जरिए मुख्यमंत्री पर राजनैतिक खरीद-फरोख्त का दोष मढ़ा गया है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin August 09, 2023 sayısından alınmıştır.
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"