एक तो पार्टी ने वित्त, निगम, चिकित्सा शिक्षा और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण विभाग पवार तथा उनके आठ मंत्रियों के लिए छोड़ दिए. फिर, 2014-19 तक राज्य का नेतृत्व करने वाले भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के डिप्टी की भूमिका निभा रहे हैं. चूंकि अब पवार भी डिप्टी सीएम हैं, तो फडणवीस की भूमिका और भी सीमित हो गई है. यह पहली बार है कि महाराष्ट्र में दो डिप्टी सीएम बने हैं. पवार के लोगों के उस दावे ने मामले को और उलझा दिया है कि पवार जल्द ही शिंदे की जगह लेंगे. हालांकि फडणवीस ने इसका खंडन किया है.
स्थिति यह है कि राज्य में भाजपा का विधायक-मंत्री अनुपात सबसे कम है. 106 विधायक (छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन को छोड़कर) होने के बावजूद, फडणवीस सहित भाजपा के कोटे से मात्र 10 मंत्री हैं, जबकि शिंदे गुट को मात्र 40 विधायकों के साथ कैबिनेट में 10 मंत्री मिल गए हैं. पवार गुट के नौ मंत्री हैं जबकि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि उन्हें एनसीपी के 53 विधायकों में से दरअसल कितनों का समर्थन प्राप्त है. कैबिनेट में अभी भी 14 मंत्रियों के लिए स्थान शेष है लेकिन शिंदे की सेना में दावेदारों की संख्या को देखते हुए कैबिनेट विस्तार में देरी हो सकती है. इसका मतलब है कि भाजपा के मंत्री पद के दावेदारों के लिए इंतजार और लंबा होने वाला है. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया, “हमारे विधायकों में असंतोष है, लेकिन आसन्न लोकसभा चुनाव के कारण पवार को साथ लेने का फैसला किया गया है."
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin August 09, 2023 sayısından alınmıştır.
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