यह मध्य प्रदेश (3,421) और कर्नाटक (1,783) के बाद किसी भारतीय राज्य में तेंदुओं की तीसरी सबसे बड़ी आबादी है. इनमें से लगभग 65 फीसद तेंदुए वन्यजीव अभयारण्य, राष्ट्रीय उद्यान और बाघ परियोजना जैसे संरक्षित क्षेत्रों के बाहर रहते हैं. मानव बहुल क्षेत्रों में उनकी यह मौजूदगी उन्हें संघर्ष के जोखिम में डाल देती है. महाराष्ट्र वन विभाग के मुताबिक, राज्य में 2017 से लेकर अब तक तेंदुओं के हमलों में 113 लोग मारे गए हैं. हालांकि, तेंदुए खेतों में खड़ी फसल को नुक्सान पहुंचाने वाले जंगली मवेशियों और जंगली सूअरों की संख्या को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते हैं.
महाराष्ट्र वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार बताते हैं कि वन विभाग की तरफ से मानवतेंदुआ संघर्ष पर काबू पाने के उपाय तलाशने के लिए गठित की गई समिति ने जो विकल्प सुझाए हैं, उनमें नसबंदी भी शामिल है. उन्होंने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों ने भी इस विकल्प से सहमति जताई है. वर्ष 2018 की स्थिति रिपोर्ट कहती है, "तेंदुओं के व्यापक क्षेत्र में मौजूद होने के बावजूद उनके आवास का दायरा तेजी से सिकुड़ रहा है और जंगली शिकार के कम घनत्व वाले छोटे खंडित क्षेत्र एक बड़ी आबादी को आश्रय नहीं दे सकते. इसकी वजह से ही वे मानव बहुल बस्तियों में आने लगे हैं."
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, "हमें देखना है कि क्या मौजूदा संसाधनों में नसबंदी की जा सकती है? और क्या यह एक प्रभावी उपाय हो सकता है?" यह उपाय संभव है या नहीं, इस पर अध्ययन एक महीने में पूरा हो जाएगा. हालांकि, इंसानों पर हमला करने वाले नरभक्षी पशुओं की पहचान करना और उन्हें पकड़ना एक बड़ी चुनौती है. 'तेंदुआ बचाव दलों' की संख्या बढ़ाई जा रही है. साथ ही 'मानव-तेंदुआ संघर्ष की घटनाएं कम करने' के लिए जागरूकता भी बढ़ाई जा रही है. इसमें आवारा कुत्तों की संख्या में कमी लाने के लिए गांव की सीमाओं को साफसुथरा रखने और सड़कों पर रोशनी की प्रभावी व्यवस्था पक्की करने जैसे उपाय शामिल हैं. लेकिन जैसा कि उस अधिकारी ने कहा, संघर्ष को "केवल कम किया जा सकता है, पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता."
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin August 16, 2023 sayısından alınmıştır.
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