प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई खूबियां हैं, अति-आत्मविश्वास उनमें एक है. दूसरी है मौकों का फायदा उठाने और उन्हें अपना बना लेने की हैरतअंगेज क्षमता. इस 15 अगस्त को जब वे लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के अपने लगातार 10वें संबोधन के लिए खड़े हुए, तो उन्होंने अपना प्रभावी रिपोर्ट कार्ड पेश किया और बताया कि 2014 के बाद उन्होंने और उनकी सरकार ने क्या-क्या हासिल किया है. अपनी सारी उपलब्धियों को उन्होंने आकर्षक नारे–‘‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म"-के धागे में पिरोया और उम्मीद यही है कि इसका इस्तेमाल वे 2024 के लोकसभा चुनाव के अपने प्रचार अभियान में भी करेंगे. फिर उन्होंने बताया कि आजादी के 100 साल का जश्न मनाते वक्त 2047 में विकसित भारत की ओर देश के महाप्रयाण में अगले पांच साल बेहद अहम क्यों हैं. मगर प्रधानमंत्री का असल संदेश पंचलाइन में था. उन्होंने कहा, “अगले साल मैं इसी लाल किले से आपके समक्ष राष्ट्र की उपलब्धियों और प्रगति का लेखा-जोखा प्रस्तुत करूंगा." यह दुस्साहसी दावा था, खासकर ऐसे प्रधानमंत्री की तरफ से जो अपने दो कार्यकाल के आखिरी पड़ाव में है जहां सत्ता- विरोधी रुझान अच्छे से अच्छे नेता के सिर पर मंडरा रहा होता है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin September 06, 2023 sayısından alınmıştır.
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अपनी व्यापार रणनीति पर पुनर्विचार करे भारत
भारत को ट्रंप 2.0 युग में कामयाब होने के लिए टैरिफ कम करने होंगे, ऊंचे मानकों वाले एफटीए को अपनाना होगा और दुनिया के बदलते हालात के साथ व्यापार नीतियों का तालमेल बिठाना होगा
मोदी के सामने दोहरी चुनौतियां
प्रधानमंत्री को देश में धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था में तेजी लाने और समान विकास पक्का करने के लिए जोरदार सुधार करने होंगे. दूसरी ओर, विदेश में भारत के खिलाफ टैरिफ और आव्रजन संबंधी शिकायतों पर ट्रंप के साथ समझौता करने का तरीका निकालना होगा
कैसे रखें बरकरार अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार
साल 2025 में भारत की वृद्धि तेज करने के लिए सुधारों, लचीलेपन और वैश्विक अनिश्चितताओं के लिए तैयारी की जरूरत
व्यवस्थाओं के बीच उलझी दुनिया
विश्व अब आर्थिक मोर्चे पर बहुध्रुवीय, सैन्य लिहाज से एकध्रुवीय और राजनैतिक तौर पर विखंडित स्थिति में है. देशों में अवसरवादिता की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती नजर आ रही
फिर उसी बुलंदी पर
वनडे विश्व कप के फाइनल में चौंकाने वाली हार के महज सात महीने बाद भारत ने जबरदस्त वापसी की और जून 2024 में टी20 विश्व कप जीतकर क्रिकेट की बुलंदियों एक को छुआ
आखिरकार आया अस्तित्व में
यह एक भूभाग पर हिंदू समाज के स्वामित्व का प्रतीक था. इसके निर्माण से भक्तों को एक तरह की परिपूर्णता और उल्लास की अनुभूति हुई. अलग-अलग लोगों के लिए राम मंदिर के अलग-अलग अर्थ रहे हैं और उसमें आधुनिक भारत की सभी तरह की जटिलताओं- पेचीदगियों की झलक देखी जा सकती है
बंगाल विजयनी
केवल आर. जी. कर और संदेशखाली घटनाक्रमों को गिनेंगे तो लगेगा कि 2024 ममता बनर्जी के लिए सबसे मुश्किल साल था, मगर चुनावी नतीजों का संदेश तो कुछ और ही
सत्ता पर काबिज रहने की कला
सियासी माहौल कब किस करवट बैठने के लिए मुफीद है, यह नीतीश कुमार से बेहतर शायद ही कोई जानता हो. इसी क्षमता ने उन्हें मोदी 3.0 में एक मजबूत स्तंभ के तौर पर स्थापित किया
शेरदिल सियासतदां
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत ने न केवल उनकी पार्टी बल्कि कश्मीर का भी लंबा सियासी इंतजार खत्म कराया. मगर उमर अब्दुल्ला को कई कड़ी परीक्षाओं से गुजरना पड़ रहा—उन्हें व की बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरना है, तो जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलने तक केंद्र से जूझना भी है
शूटिंग क्वीन
मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में बदलाव की शानदार पटकथा लिखी. अटूट इच्छाशक्ति से अतीत की निराशा को पीछे छोड़कर उन्होंने अपना भाग्य गढ़ा