असल में 2024 के लोकसभा और राज्य के विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सरकार झुग्गियों में बसने वाले एक बड़े वोट बैंक को लुभाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. राज्य सरकार ने तय किया है कि झुग्गी पुनर्विकास योजनाओं के तहत साल 2000 से 2011 के बीच बसी झुग्गियों में रहने वालों को 2.5 लाख रुपए में अपार्टमेंट आवंटित किया जाएगा. एक अनुमान के मुताबिक, इससे तकरीबन 16 से 18 लाख लोगों को फायदा होगा क्योंकि आने वाले कुछ वर्षों में उनकी झुग्गियों का कायाकल्प हो जाएगा. 2000 से पहले बसी झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोग पहले ही कानूनी तौर पर संरक्षित हैं और मुफ्त आवास के पात्र हैं. कई लोग तो स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) की परियोजनाओं के तहत मिले 300 वर्ग फुट के फ्लैट में रह रहे हैं,
साल 2018 में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना सरकार ने 1 जनवरी, 2000 और 1 जनवरी, 2011 के बीच बनी झुग्गियों में रहने वालों के पुनर्वास के साथ उन्हें किफायती कीमत पर घर मुहैया कराने का फैसला किया था. मई 2023 में जारी एक सरकारी प्रस्ताव में इसकी कीमत 2.5 लाख रुपए निर्धारित की गई. महाराष्ट्र राज्य आवास विभाग के सूत्रों का कहना है कि शुरू में निर्माण लागत के आधार पर शुल्क लेने की योजना थी. लेकिन किसी ऊंची इमारत में 300 वर्ग फुट का घर बनाने पर आने वाली लागत 8 से 12 लाख रुपए के बीच बैठती, इसलिए यह रकम 2.5 लाख रुपए तय की गई.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin October 11, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin October 11, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.