धनगर समुदाय में पास या दूर जाकर पशुओं को चराने वाले पशुपालक और खेतीबाड़ी करने वाले लोग शामिल हैं. महाराष्ट्र में मराठा-कुनबी के बाद इसे दूसरा सबसे बड़ा जाति समूह माना जाता है. चुनावी नजरिये से राज्य की 288 सीटों में से एक-चौथाई में इनकी मजबूत मौजूदगी है. वैसे, आदिवासी संगठन उनकी मांग का जोरदार विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें आशंका है कि नए समूह की भागीदारी से नौकरियों, शिक्षा और राजनीति में मिलने वाले आरक्षण में उनकी हिस्सेदारी घट जाएगी, और अगर वे भूमि खरीदने के पात्र बने तो धीरे-धीरे उन्हें इससे भी वंचित कर सकते हैं.
धनगर अभी एनटी-सी यानी खानाबदोश जनजाति श्रेणी में आते हैं जो ओबीसी की एक उप-श्रेणी है, और महाराष्ट्र में इसे 3.5 फीसद कोटा हासिल है. आदिवासी दर्जा देने और 7 फीसद वाले उच्च कोटा श्रेणी में शामिल करने की उनकी मांग 'धांगड़/उरांव' के संविधान की अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल होने पर आधारित है. इस समुदाय के नेताओं का दावा है कि धनगर और धांगड़ एक ही होते हैं और धांगड़ में वर्तनी की गलती है, जिसकी वजह से ही महाराष्ट्र ने उन्हें आरक्षण के लाभ से वंचित कर दिया है. हालांकि, आदिवासी नेता इसे भी रेखांकित करते हैं कि झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में छोटा नागपुर पठार में बसे धांगड़ और उरांव भिन्न हैं. 2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआइएसएस) की एक रिपोर्ट में भी कहा गया कि धनगर और धांगड़/ उरांव के बीच बहुत कम समानताएं पाई गई हैं.
बहरहाल, यह मुद्दा भाजपा के लिए गले की फांस बनता जा रहा है, जो महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है. आदिवासी क्षेत्रों में पार्टी का अच्छा-खासा दबदबा है और इस समुदाय का वोट पाने के लिए वह धनगर आरक्षण की मांग को हवा देती रही है. भगवा पार्टी पारंपरिक तौर पर 'माधव' फॉर्मूले को अपनाए रही है, जिसका मतलब है महाराष्ट्र की राजनीति में मराठों के वर्चस्व की काट के लिए माली, धनगर और वंजारी जैसे शक्तिशाली ओबीसी समूहों के बीच पैठ बढ़ाना इसकी बदौलत ही भाजपा को शेटजी (व्यापारियों) और भट्टजी (ब्राह्मण) की पार्टी वाली छवि से उबरने में मदद मिली.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin October 18, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin October 18, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"