- 8,000 हीरा पॉलिश करने वाली इकाइयां हैं गुजरात में, जिनमें आधी सूरत में हैं और 90 प्रतिशत कार्यबल को रोजगार देती हैं
- 15,000 हीरा काटने और पॉलिश करने वालों की छंटनी गुजरात में हो जाने का अनुमान है. इनकी कुल संख्या 8 लाख है
दूसरों के जीवन में चमक बिखेरने वाले कुछ लोगों का जीवन कई बार गहरे अंधकार में घिरा होता है. कुछ ऐसा ही हाल गुजरात के उन कारीगरों का भी है जो हीरे की चमक को निखारने के लिए उसकी पॉलिश करने के पेशे से जुड़े हैं. राज्य में इनकी अनुमानित संख्या 8,00,000 के करीब है, वे पीढ़ी-दर-पीढ़ी यही काम करते आ रहे हैं. पर अब उनके लिए आजीविका चलाना मुश्किल होता जा रहा है. उद्योग के आंतरिक सूत्रों की मानें तो पिछले कुछ महीनों में करीब 15,000 लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई है. यही नहीं, अनिश्चित भविष्य से हताश होकर उनमें से कई अपनी जान तक दे चुके हैं. इन्हीं में सूरत के 55 वर्षीय वीनू मोराडिया भी शामिल थे. इसी साल अपनी नौकरी खो देने के बाद वीनू के लिए छह लोगों के परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया था. हताश होकर उन्होंने एक घातक कदम उठाया और जून के शुरू में अपनी पत्नी और दो छोटे के बच्चों के साथ आत्महत्या कर ली. परिवार में रह गई 25 वर्षीय रुशिता और उसका 22 वर्षीय भाई पार्थ. घटना से आहत रुशिता ने भी तीन दिन बाद जान देने की कोशिश की, लेकिन किसी तरह उसे बचा लिया गया.
भारत में हीरे की खदानें भले ही बहुत पहले खत्म हो चुकी हों लेकिन तराशे और पॉलिश किए गए हीरों की आपूर्ति के मामले में यह दुनिया में अग्रणी देश बनकर उभरा और इसका श्रेय मुख्यत: गुजरात के हीरा कारोबारियों की व्यावसायिक क्षमता को जाता है. वित्त वर्ष 2023 में 1.4 लाख करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के कच्चे हीरे आयात किए गए. तराशने और चमकाने के बाद देश का तैयार हीरों का निर्यात वित्त वर्ष के दौरान करीब 2 लाख करोड़ रु. पर पहुंच गया, जो दुनिया में कुल हीरा निर्यात का करीब 20 फीसद रहा. हालांकि, पहले कोविड-19 और फिर यूक्रेन-रूस जंग की वजह से भारत में कच्चे हीरों की आपूर्ति घटी है. बदली स्थितियों ने कारोबार के सबसे निचले तबके पर सबसे ज्यादा असर डाला है, जिसमें हीरे पॉलिश करने वाले कारीगर और अन्य छोटे व्यापारी शामिल हैं.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin November 01, 2023 sayısından alınmıştır.
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