नवाज शरीफ 21 अक्तूबर को लाहौर स्थित ऐतिहासिक मीनार-ए-पाकिस्तान में अपनी पार्टी के शक्ति प्रदर्शन के दौरान जैसे ही ऊंचाई पर बने मंच पर पहुंचे, उनकी बेटी मरियम नवाज ने माइक पर कुरान की एक आयत पढ़ी. अरबी की इस आयत का आशय कुछ इस तरह था, "बेशक, तू (अल्लाह) जिसे चाहे बुलंद कर सकता है और जिसे चाहे जलील कर सकता है." एक तथ्य यह भी है कि यह कुरान की वही आयत है जिसे फौज के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने 25 जुलाई, 2018 को चुनाव नतीजे आने के बाद ट्वीट किया था, लेकिन किसी ने ज्यादा गौर नहीं किया. नतीजे, शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के धूल चाटने और उनके प्रतिद्वंद्वी इमरान खान की जीत की गवाही दे रहे थे.
शरीफ तीसरी बार प्रधानमंत्री के पद से पहले ही बर्खास्तगी का सामना कर चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में उन्हें जीवनभर सार्वजनिक पद संभालने के अयोग्य घोषित कर दिया था. बाद में एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें 10 साल जेल की सजा सुनाई थी. शरीफ और उनकी पार्टी ने उस समय खुलकर आरोप लगाया था कि यह सब फौज के इशारे पर हो रहा है, न्यायपालिका पक्षपातपूर्ण तरीके से सियासी मामलों में दखल दे रही है और उसने ये फैसले दबाव में दिए हैं. बहरहाल, करीब चार साल बाद मीनार-ए-पाकिस्तान पहुंचने के लिए उन्होंने दुबई और इस्लामाबाद से यहां तक का सफर एक चार्टर्ड प्लेन से पूरा किया. उन्होंने एकदम चमत्कारिक ढंग से अपनी राजनैतिक किस्मत बदलने का संकेत देने के लिए तैयार इस सियासी मंच से हाथ हिलाकर अपने तमाम उत्साही समर्थकों का अभिवादन किया.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin November 08, 2023 sayısından alınmıştır.
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