राजधानी हैदराबाद से 117 किलोमीटर दूर चहल-पहल भरे पोल्ट्री के गढ़ तथा जिला मुख्यालय कामारेड्डी में 9 अक्तूबर को गुलाबी रंग का सागर ठाठे मार रहा है. केसीआर नाम से चर्चित तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के पांच-मंजिला ऊंचे कटआउट सड़कों के किनारे कतार से लगे हैं. पार्टी का चुनाव चिह्न भी लगा है - हिंदुस्तान मोटर्स की पुरानी एंबेसडर जैसी कार. हर चीज चटख गुलाबी रंग की है. यही उस पार्टी का रंग है जिसने राष्ट्रीय साख चमकाने के लिए पिछले साल नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) रख लिया. गुलाबी सार्वभौम शांति और प्रेम का प्रतीक है. यह चैन, करुणा और गर्मजोशी भी जगाता है. इसीलिए यह रंग केसीआर ने बीआरएस के लिए चुना.
सभा-स्थल पर बैंड वाले भी गुलाबी रंग में हैं. वे ऊंचे स्वरों में पार्टी के गाने गा-बजा रहे हैं, जिसमें केसीआर के कसीदे पढ़े गए हैं और जिसकी तान ऊंची उठते-उठते " जय जय तेलंगाना" के आह्वान पर टूटती है. एक और लोकप्रिय गीत है – "एक दो तीन चार, देश का नेता केसीआर." इसमें उस शख्स की आकांक्षाओं को पिरोया गया है जिसने पहले राज्य के लिए आंदोलन की अगुआई की और 2014 से उसकी तकदीर को रास्ता दिखाते आ रहे हैं. अब वे 30 नवंबर को होने जा रहे तेलंगाना के चुनाव में मुख्यमंत्री के तौर पर तीसरा कार्यकाल हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.
इस बार 69 वर्षीय केसीआर ने कामारेड्डी से भी चुनाव लड़ने का फैसला किया. 2014 और 2018 के विधानसभा चुनाव में केसीआर पड़ोसी सिद्धिपेट जिले की गजवेल सीट से चुनकर विधानसभा में पहुंचे थे. विपक्ष इसे केसीआर की असुरक्षा का संकेत मानता है. जनमत सर्वेक्षणों से भी उनके खिलाफ सत्ता विरोधी रुझान की झलक मिलती है, जिसकी वजह से उनकी पार्टी 119 में से 2018 में जीती अपनी 88 से काफी कम सीटों पर सिमट सकती है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin November 29, 2023 sayısından alınmıştır.
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