राजकरण दफ्तरी, 64 वर्ष चेयरमैन, दफ्तरी ग्रुप
तीस-बत्तीस साल पहले की बात है. तब उनकी इसी किशनगंज शहर में कपड़ों की छोटी सी दुकान थी. एक जाने-माने पत्रकार उन दिनों किशनगंज के सांसद हुआ करते थे और तीन युवाओं ने मिलकर उनके नाम पर एक फैन क्लब बनाया हुआ था. सांसद जब भी किशनगंज आते, इन युवाओं से जरूर मिलते. ऐसी ही यात्रा के दौरान सांसद ने इन्हें किशनगंज से सटे पश्चिम बंगाल के एक चाय बगान के फार्म हाउस में बुलाया, जहां वे ठहरे थे. जब वे वहां गए तो बगान की रौनक और व्यवस्था देखकर चकित रह गए. तभी उन्होंने एक सपना देखा कि उनका भी एक चाय बगान हो. मगर किसी और राज्य में नहीं, उनके अपने इलाके में.
अगले दो साल में उन्होंने किशनगंज जिले में जमीन खरीदकर चाय की खेती शुरू कर दी. इस तरह वे बिहार में चाय की खेती शुरू करने वाले पहले आदमी बने. दो-तीन साल में ही उनकी यह खेती मुनाफा देने लगी. आज उनके और उनके वृहद परिवार के लोगों के तकरीबन 500 एकड़ के चाय बागान हैं. उन्होंने चाय प्रोसेसिंग की कंपनी खोल ली है. उनकी चाय का अपना ब्रांड है, राजबाड़ी बिहार सरकार उनके इस ब्रांड को बिहार की चाय के नाम से प्रोमोट करती है और देश भर के शीर्ष लोगों को बतौर उपहार भेजती है. उनकी इस शुरुआत के बाद किशनगंज जिले में 25 हजार एकड़ में चाय की खेती होने लगी है, दसियों टी प्रोसेसिंग यूनिट खुल गई हैं. और बिहार देश में चाय का छठा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बन गया है.
अपने इस सपने को साकार करने वाले इंसान का नाम राजकरण दफ्तरी है. चाय की खेती ने उन्हें एक छोटे से कपड़ों के व्यापारी से किशनगंज जिले के सबसे बड़े उद्यमी और व्यापारी में बदल दिया है. शहर में उनके कई मॉल हैं, होटल हैं, एजेंसियां हैं.
राजकरण दफ्तरी का परिवार मूलतः राजस्थान का रहने वाला है, उनके दादा काफी पहले व्यापार के सिलसिले में बिहार आ गए थे. उनके पिता 1955 में किशनगंज आकर बस गए. वहीं 1959 में उनका जन्म हुआ. इसलिए वे खुद को किशनगंज का ही बाशिंदा कहते हैं. उनके पिता कपड़ों के व्यापारी थे. 1977 में वे भी इस व्यापार से जुड़ गए. वे बंगाल के नवदीप से पैसेंजर ट्रेन में ढोकर साड़ियां लाते थे और किशनगंज आकर बेचते थे.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin December 13, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin December 13, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"