यह करीब दस साल पुरानी बात है. जिस वक्त लोगों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का नाम भी बहुत कम सुना था, उस दौर में जयपुर के अनिरुद्ध काला देश को डेटा और एआइ के नए सॉल्यूशन देने के सपने बुन रहे थे. जयपुर की जेईसीआरसी कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके निकला मध्यमवर्गीय परिवार का यह 23-24 साल का युवा अपने सपने को लेकर इतना उत्साहित था कि बिना जरूरी संसाधनों के ही काम शुरू कर दिया.
रिश्तेदार और दोस्तों ने सलाह दी कि भारत में एआइ का कोई भविष्य नहीं है, इसलिए उन्हें किसी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करना चाहिए, लेकिन अनिरुद्ध पर तो एआइ का भूत सवार हो चुका था. सलाहों को दरकिनार कर उन्होंने जयपुर के मानसरोवर प्लाजा के एक छोटे से कमरे में अपना ऑफिस खोल लिया. वे अब बेपरवाह होकर यहां नए जमाने की इस तकनीकी अय्यारी पर हाथ आजमाने लगे. अनिरुद्ध बताते हैं, "उद्यमी बनने लिए सबसे अहम है कि आपको लगातार इनोवेशन करना होता है."
अनिरुद्ध एआइ के साथ इनोवेशन तो कर ही रहे थे लेकिन उन्हें जल्दी ही कुछ साथियों की जरूरत पड़ गई. उन्होंने अखबार में नौकरी का इश्तेहार जारी कर दिया. उस वक्त कंप्यूटर के क्षेत्र में काम करने वालों की तो खूब भरमार थी, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए क्षेत्र में काम करने के लिए लोग मिलना बहुत मुश्किल था. इश्तेहार देखकर सिर्फ चार लोग उनके पास आए. इनमें से तीन लोगों का चयन कर जयपुर में सेलेबल टेक्नोलॉजी का गठन हुआ जो आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया की प्रमुख कंपनी बन गई है.
13 अक्तूबर, 2016 को तीन लोगों के साथ शुरू हुई सेलेबल टेक्नोलॉजी के आज जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दुबई और यूके जैसे 10 देशों में आलीशान ऑफिस हैं और कंपनी में करीब तीन हजार कर्मचारी काम करते हैं. फिलवक्त देश के अधिकांश बैंकों और प्रमुख औद्योगिक घरानों को डेटा साइंस, डेटा एनालिसिस और एआइ सॉल्यूशन के क्षेत्र में सेलेबल टेक्नोलॉजी अपनी सेवाएं दे रही है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin December 13, 2023 sayısından alınmıştır.
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