बतौर एक साइंस फिक्शन फिल्म निर्माता, मैंने सोचा था कि एआइ और रोबोट पहले स्पॉटबॉय की जगह लेंगे जो फिल्म सेट पर कथित 'गैर-रचनात्मक' लोग होते हैं. लेकिन जब एआइ का बोलबाला हुआ तो मुझे एहसास हुआ कि असल में यह तो सृजन कर्मियों की जगह लेने जा रहा है!
मुझे ताज्जुब हुआ कि फिल्म के सेट पर एक स्पॉट-बॉय के पानी पिलाने सरीखे काम की जगह कोई नहीं ले सकता, लेकिन उसके मुकाबले एक लेखक की जगह ले सकता है जबकि वह सपनों की दुनिया बनाता है, मानवीय स्थितियों को देखता रखता है और संवेदनशील मानवीय भावनाओं की कल्पना करता है.
चार साल पहले, जब मैं अपनी पहली फिल्म, कार्गो (जो नेटफ्लिक्स पर अभी चल रही है और इसमें एक अंतरिक्ष यान है) बना रही थी, तो मुझे कई वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ा. एक तो अंतरिक्ष यान के लिए सीजीआइ बनाने की लागत थी और दूसरा फिल्म के लिए जरूरी एक गीत हासिल करने का खर्च था. मैंने मौजूदा समय में (चार साल पहले की तुलन में) उपलब्ध टूल्स का उपयोग यह देखने के लिए किया कि वे क्या मदद कर सकते हैं. एक ऐप था - सुनो एआइ- जिसमें मैंने एक ट्रैक के लिए फिल्म की कहानी का सारांश डाला, जो विषय के अनुरूप इससे मेल खाता था. इसने एक गाना बताया जिसके एआइ बोल इस प्रकार हैं:
कार्गो हवा में, चढ़ते जाएं
और मुर्दों को, हवाओं से जलाएं
आकाश यात्रा, हमारा हमसफर है
और दुनिया, आज तकलीफों से भरी है
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin January 17, 2024 sayısından alınmıştır.
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