कंप्यूटर से जुड़ी हुई एक बड़ी-सी कढ़ाई मशीन के सामने से गुजरते हुए अर्चना कुशवाहा की नजरें मॉनिटर पर टिकी हैं. मशीन से कपड़े पर उभरते डिजाइन का मुआयना करने के साथ ही वे ऑटोमोबाइल सर्विस स्टेशन को कॉल करती हैं. उन्होंने एक दिन पहले ही अपनी कार ठीक होने के लिए भेजी थी. वे थोड़ी कड़क आवाज में पूछती "पिछले साल ही 17 लाख रुपए में खरीदी गई कार में इस तरह दिक्कत कैसे हो सकती है? वीकेंड से पहले यह ठीक हो जानी चाहिए." 32 वर्षीया अर्चना बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में डिजाइनर साड़ियां और लहंगे तैयार करने वाली एक मैन्युफैक्चरिंग इकाई की मालकिन हैं.
अर्चना और उनके 38 वर्षीय पति नंदकिशोर कुशवाहा के लिए दिन काफी व्यस्तता भरा रहा. अर्चना 3,000 वर्ग फुट क्षेत्र में चलने वाले अपने इस वर्कशॉप में प्रोडक्शन की निगरानी की पूरी जिम्मेदारी संभाले हैं, वहीं नंद किशोर फोन पर खुदरा विक्रेताओं से ऑर्डर ले रहे हैं. वे बताते हैं, "शादियों का सीजन शुरू होने वाला है, इसलिए मांग काफी बढ़ गई है." उनकी कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष में 2.38 करोड़ रुपए की कमाई की थी. इस साल तो इस दंपती को और ज्यादा रिटर्न की उम्मीद है. इनकी जोड़ी न सिर्फ एक सफल व्यवसायी की सुखद तस्वीर पेश करती है बल्कि अर्चना और नंद किशोर के जीवन में आए एक बेहतरीन बदलाव की कहानी भी बयान करती है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin January 31, 2024 sayısından alınmıştır.
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