इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आइआइएम) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स और निर्देशकों के बीच टकराव क्या इस प्रतिष्ठित संस्थान की छवि को बट्टा लगा रहा है? अगर आइआइएम कलकत्ता में हाल की घटनाएं कोई संकेत हैं तो यह टकराव ऐसा है जिसमें इस प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान को तीन साल में तीन बार निदेशक बदलना पड़ा है और वह चौथे की तलाश में है. संस्थान की पहली महिला निदेशक अंजू सेठ ने मार्च 2021 में इस्तीफा दे दिया था, तब उनके पांच साल के कार्यकाल के तीन साल ही निकले थे, उनके उत्तराधिकारी उत्तम कुमार सरकार दो साल से थोड़ा ही ज्यादा टिके और उन्होंने अगस्त 2023 में पद छोड़ दिया और सबसे नए निदेशक सहदेब सरकार भी जनवरी में विदा हो गए. उन्होंने नवंबर में प्रभारी निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला और उन्हें नियमित निदेशक की नियुक्ति तक पद पर रहना था. अस्थाई व्यवस्था के तहत आइआइएम सी ने प्रो. सैबाल चट्टोपाध्याय को प्रभारी निदेशक नियुक्त किया है हालांकि नए पूर्णकालिक निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है.
इतने इस्तीफों की क्या वजहें हैं? सहदेब, जिन्होंने 1997 में आइआइएम सी जॉइन किया था. वे पहले अमेरिका की ओकलाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी में पढ़ा चुके थे और लुइजियाना यूनिवर्सिटी में विजिटिंग प्रोफेसर भी थे. बताया जाता है कि उन्हें यौन उत्पीड़न के कथित आरोपों के बाद हटा दिया गया. सूत्रों का कहना है कि यह उनकी नियुक्ति से पहले का मामला है लेकिन उसकी शिकायत हाल में दाखिल की गई और जांच चल रही है. लेकिन उनके पूर्ववर्तियों की रवानगी से लगता है कि इसमें कुछ अदृश्य ताकतों का हाथ है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin March 20, 2024 sayısından alınmıştır.
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