सीवान जिले के गरौली गांव में गंडकी नदी के पास लगे सफेद कपड़े के बैनर पर लाल स्याही से लिखा है: "पुल क्षतिग्रस्त है, यातायात बाधित है. " ऐसे बैनर इन दिनों इसी गंडकी नदी के किनारे सात जगहों पर लगे हैं. हाल के दिनों में इस नदी पर बने सात पुल एकएक कर ढह गए. छह पुल तो सिर्फ दो दिन के भीतर 3-4 जुलाई को ध्वस्त हुए.
गरौली के दशरथ प्रसाद पुल के गिरने के बारे में पूछते ही भड़क उठते हैं: "ठीकदार लोग नदी में माटी खुनवा रहा था. हमलोग मना किए, पुल के पास खोदाई नहीं कीजिए, हमलोग चंदा करके बनवाए हैं. पीलर में पीसीसी ढलाई नहीं हुआ है. लेकिन नहीं माना नहीं माना तो पुल भंस गया. पानी उसको घींच कर तोड़ दिया." पास ही खड़ी बसंती देवी जोड़ती हैं, " एकठो मैडम आई थीं. हम बोले, मैडम मिट्टी ऐसे मत कटवाइए, तो बोलीं, आप मुखमंतरी हैं क्या. ई लोग पुल भंसाकर चल गए. पचास गांव के आदमी का दुख हो गया."
गरौली में गिरा यह पुल 18 जून, 2024 के बाद बिहार में गिरे एक दर्जन पुलों में से है. यह नाले की शक्ल में बहने वाली पतली-सी गंडकी नदी की धारा पर बना था. 1991 में गांव के लोगों ने चंदा करके इसके पिलर बनवाए थे. बाद में तत्कालीन स्थानीय विधायक उमाशंकर सिंह ने बचा काम पूरा करवा दिया. 22 जून, 2024 को जब पहली बारिश का पानी आया तो यह पुल भरभराकर गिर गया. गांव के लोग इसका दोष उन ठेकेदारों को देते हैं, जो नदी की सफाई करने आए थे और पोकलेन (मिट्टी निकालने वाली मशीन) से मिट्टी कटवा रहे थे. एक अन्य ग्रामीण अजय पटेल कहते हैं, "नदी की उड़ाही (सफाई) करते वक्त इन लोगों ने पुल की नींव के पास भी खुदाई कर दी. इसी वजह से पुल गिरा है."
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin July 31, 2024 sayısından alınmıştır.
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