ऐतिहासिक रूप से हमारे पुरातात्विक और पुरा अतीत के अनुसंधान बिना किसी अपवाद के हमेशा ही शहरी केंद्रों तक सीमित रहे हैं. हालांकि यह खोज ज्यादा व्यापक थी और पहली बार आधिकारिक टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र के भीतर की गई. नतीजे में अनेक स्थलों से प्रागैतिहासिक काल के पाषाण औजार मिले जिनसे यहां की बसावट के 5000 ईसा पूर्व या इससे भी अधिक पुरानी होने के संकेत मिले जो पहले दर्ज की गई। 200 ईस्वी से ज्यादा पुरानी लगती है. इन खोजों से संकेत मिलता है कि बांधवगढ़ के वन वासियों के लिए चकमक, गोमेध (चेर्ट, अगेट) और स्फटिक सबसे ज्यादा उपयोग वाले पत्थर थे.
एक और महत्वपूर्ण जानकारी जो लखनऊ की बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पेलिओसाइंसेज की लैब से आई, वह थी: बांधवगढ़ में साल के स्थानीय पेड़ कम से कम ईसा पूर्व की छठी शताब्दी से पहले के हैं. पेड़ों की इन प्रजातियां की निरंतरता पर्यावरणविदों में दिलचस्प जगाएगी क्योंकि वनों में आम तौर पर समय के साथ बदलाव आ जाता है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin August 21, 2024 sayısından alınmıştır.
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