आकार में बड़ी दिखने वाली चीज हमेशा खूबसूरत हो, जरूरी नहीं. 58,000 से ज्यादा संस्थाओं और 4.30 करोड़ छात्रों के साथ भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में से 'एक है. मगर हमारे कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के बारे में धारणा कुल मिलाकर खराब है और हमारी संस्थाएं निम्न गुणवत्ता वाले रोगों से ग्रस्त हैं. इन कमियों को दूर करने के लिए व्यवस्थागत बदलाव पर जोर देने वाले त्रिआयामी नजरिए की जरूरत है. इसके बिना भारत वैश्विक शिक्षा का केंद्र नहीं बन सकता; इस क्षेत्र में दुनिया हमारे प्रति आकर्षित हो, इसके लिए जरूरी है कि हम स्थानीय स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाला केंद्र बने.
फिलहाल, शिक्षा की गुणवत्ता में भारी झोलझाल है. आइआइटी और आइआइएम सरीखे प्रतिष्ठित सरकारी संस्थान और अशोका यूनिवर्सिटी और आइएसबी सरीखे निजी संस्थान ऊंचे मानकों को बनाए रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते हैं, तो वहीं ज्यादातर कॉलेज और विश्वविद्यालय पुराने ढर्रे के पाठ्यक्रम, नाकाफी बुनियादी ढांचे और आधे-अधूरे ज्ञान वाले शिक्षकों से जूझते रहते हैं. गैरबराबरी के इस मैदान की वजह से हजारों छात्र खराब ढंग से शिक्षित और असल दुनिया के लिए बुरे तरीके से तैयार हो जाते हैं. ऐसे में जिंदगी में गैरबराबरी भी बनी रहती है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin August 28, 2024 sayısından alınmıştır.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.