राजनीति और अर्थशास्त्र, 1947 से भारत की दोहरी चुनौतियां रही हैं और इनमें दो जोखिम भरे प्रयोग हुए, सभी को मत देने का अधिकार राजनीति का एक प्रयोग था जिसने बहुत प्रभावी ढंग से काम किया है. इसने बहुत से खांचों में बेटे भारतीय समाज को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया है. लेकिन आर्थिक मोर्चे पर हमारा प्रयोग-समाजवादी आर्थिक नीति पर चलने का फैसला जो कांग्रेस के 1955 के अवाडी प्रस्ताव पर आधारित था-उतना ही विफल रहा क्योंकि इसने उद्यमशीलता की स्वतंत्रता को रोका, जिससे नौकरियां पैदा होतीं. इसका एक नतीजा यह भी रहा कि पूंजी के अभाव में हमारा श्रम पंगु हो गया और श्रम बिना हमारी पूंजी अपंग है.
हितोपदेश कहता है, 'विद्या ददाति विनयम्' यानी विद्या से विनम्रता आती है. लेकिन इतनी सुंदर बात कपोल कल्पनाओं में लीन विद्वानों, संभ्रातवादियों, लोकहितवादियों, नौकरशाहों, शिक्षाविदों और कामगारों की हकपरस्ती का दंभ भरने वाले ट्रेड यूनियनवादियों के गले नहीं उतर पाई. कल्पनाशील लोग निजी नियोक्ताओं को भी एक सरकार की तरह स्थाई संस्थाओं के रूप में देखते हैं जो सरासर गलत है. संभ्रांतवादियों का मानना है कि निजी क्षेत्र का वेतन ग्राहकों के बजाए शेयरधारक देते हैं. लोकहितवादियों का मानना है कि निजी रोजगार को ऋण से वित्त पोषित सरकारी खर्चों से प्रतिस्थापित किया जा सकता है. नौकरशाहों का मानना है कि वैधानिक नियोक्ता लाभों को वेतन से वित्तपोषित किया जाता है. शिक्षाशास्त्री कौशल को हेय दृष्टि से देखते थे. और ट्रेड यूनियनवादियों का मानना है कि नौकरी को खत्म होने से रोकना भी एक तरह से नौकरी का सृजन करना है. ये सारे छह दृष्टिकोण इसकी गहराई में न झांकने के विचार से ग्रस्त हैं. इस स्थिति को बदलने के लिए निम्नलिखित सुधारों की जरूरत है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin August 28, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin August 28, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं
जख्म, जज्बात और आजादी
निखिल आडवाणी के निर्देशन में बनी फ्रीडम ऐट मिडनाइट पर आधारित सीरीज में आजादी की उथल-पुथल से एक मुल्क बनने तक की कहानी
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
कंप्यूटिंग में नई क्रांति की कवायद
आइआइएससी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क प्रेरित कंप्यूटिंग की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो न्यूरल सिनेप्सेज की तरह सूचनाओं को प्रोसेस करता है. इसमें रफ्तार, क्षमता और डेटा सुरक्षा की भरपूर संभावना
चीन की चुनौती
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा और व्यापार बढ़ रहा है, भारत के सामने सस्ते चीनी आयात को किनारे लगाने तथा घरेलू उद्योग की जरूरतों को प्रोत्साहित करने की कठिन चुनौती
कौन सवारी करेगा मराठा लहर पर
मराठा समुदाय के लोगों में आक्रोश है और मनोज जरांगे - पाटील के असर में मराठवाड़ा 'से आखिरकार यह भी तय हो सकता है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बाजी किसके हाथ लगेगी
फिर बना सियासत का मर्कज
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 1968 में अजीज बाशा मामले में दिया गया फैसला. भाजपा नेताओं के निशाने पर आया एएमयू, आरक्षण, तालीम पर उठा रहे सवाल
जानलेवा तनाव
भारतीय कंपनियों में गैर - सेहतमंद कार्य - संस्कृति से कर्मचारियों की जान पर बन आई है. इससे वे तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों की चपेट में आ रहे और कई मौकों पर तो यह कल्चर उनके लिए मौत का सबब बन रही