मगर डॉक्टर ही क्यों, दूसरे प्रोफेशनल्स भी इसमें उतने ही माहिर होते हैं. एक वकील भी आपराधिक बीमारी को दूर करने के लिए अदालत में अपनी बेहतरीन जिरह के जरिए उसी निपुणता का परिचय देता है. एक अर्थशास्त्री भी वैसा ही करता है और अपनी गहन तथा तेज अंतर्दृष्टि या विश्लेषण के अपने पसंदीदा साधन के जरिए अर्थव्यवस्था या सरकारी नीति को धार देकर संचालित करता है. फिर, वास्तुकार के बारे में आपका क्या ख्याल है? जाहिरा तौर पर महज ईंट और गारे से परे, कुछ ऐसा पेश करने के लिए वह एक पूरा विजन बनाता है.
ये कुछ ऐसी शख्सियतें हैं जिन्होंने न केवल अपनी पेशेवर उत्कृष्टता के शिखर को छुआ है, बल्कि अपनी असाधारण प्रतिभा के बल पर उन्होंने अपने-अपने संबंधित क्षेत्रों के लिए मानकों को परिभाषित और निर्धारित करने में मदद की है. ये अलहदा पेशेवर जो कुछ भी करते हैं, उनकी महानता केवल उसमें निहित नहीं है, बल्कि इस बात में भी है कि उनके काम के नतीजतन व्यापक आम जन की भलाई होती है. डॉक्टर, वकील, अर्थशास्त्री और एक वास्तुकार... कुछ भली शख्सियतें जिनकी अगुआई असल में एक नजीर है.
१ नरेश त्रेहन, 77 वर्ष चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, मेदांता - द मेडिसिटी
दिल का माहिर
● क्योंकि वे भारत में न सिर्फ हृदयरोग के क्षेत्र में भारत की अहम आवाज हैं बल्कि देश में क्षयरोग (टीबी) उन्मूलन में अग्रणी भूमिका निभाने वालों में से हैं. हरियाणा को टीबी मुक्त करने या कि मिशन टीबी फ्री हरियाणा के लिए एक रिसर्च प्रोजेक्ट के रूप शुरू हुआ उनका अभियान अब उन्हीं की अगुआई और प्रयास से राष्ट्रीय पहल बन चुका है. इसका नाम है टीबी फ्री इंडिया
● क्योंकि दुनिया में उनकी प्रतिभा की धूम है.इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ कार्डिएक सर्जरी ने उन्हें एथेंस में इस साल ‘90 के दशक के स्वर्ण युग के सात बुद्धिमान कोरोनरी सर्जनों' में से एक माना है. उनके अस्पताल मेदांता को न्यूजवीक की दुनिया के 250 श्रेष्ठ अस्पतालों की सूची में लगातार पांचवें साल शामिल किया गया. ऐसा कीर्तिमान हासिल करने वाला वह भारत का एकमात्र निजी अस्पताल है
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin November 13, 2024 sayısından alınmıştır.
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मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
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पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
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3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.