गुजरात में पंचमहल जिले के गोधरा तालुका स्थित महुलिया गांव की यह पशुपालक कभी स्कूल नहीं गई लेकिन पिछले साल अपने घर पर माइक्रो एटीएम के माध्यम से बुनियादी बैंकिंग सीखने के बाद वे एक तरह से घर की मुखिया बन गई हैं. 50 वर्षीया कोकिलाबेन अब घर का खर्च संभालती हैं और उनकी सूझबूझ से ही परिवार ट्रैक्टर खरीदने में सक्षम हो पाया है.
पंचमहल के वावडी खुर्द गांव निवासी एक अन्य पशुपालक दिवुबेन चारण ने भी ऐसा प्रशिक्षण हासिल किया. 30 वर्षीया दिवुबेन का कहना है कि परिवार पहले से अधिक बचत कर पा रहा है और उसके पास अपने दो बच्चों को पढ़ाने लिखाने और खुद पर खर्च करने के लिए भी अधिक पैसे होते हैं. वे थोड़ा शर्माते हुए बताती हैं कि कुछ गहने भी खरीदे हैं.
कोकिलाबेन ग्राम स्तर पर बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (एमपीएसीएस) की उन हजारों महिला सदस्यों में शामिल हैं, जिन्हें पंचमहल और बनासकांठा जिलों के जिला ऋण एवं सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) की माइक्रो एटीएम सुविधा इस्तेमाल करने के लिए डेबिट/क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं. माइक्रो एटीएम पॉइंट-ऑफ-सेल मोबाइल डिवाइस की तरह होते हैं, जो जीपीआरएस के माध्यम से बैंक सर्वर से जुड़े होते हैं. इनके जरिये नकद जमा, निकासी, फंड ट्रांसफर और बैलेंस की जानकारी लेने जैसी बुनियादी बैंकिंग सेवाएं हासिल की जा सकती हैं. मदद के लिए एक प्रशिक्षित स्थानीय 'बैंक मित्र' भी मौजूद रहता है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin November 27, 2024 sayısından alınmıştır.
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