इसी साल हुए लोकसभा चुनाव की बात है. सारण लोकसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी इ आचार्य चुनावी मैदान में उतरी थीं. रोहिणी ने अपने पिता लालू को एक किडनी दी है, इसलिए लालू का स्वाभाविक लगाव अपनी बेटी को लेकर था. सामने भाजपा से पिछले तीन बार से सांसद राजीव प्रताप रूडी मैदान में थे. इसमें एक बार फिर लालू के हमनाम लालू प्रसाद यादव ने नामांकन कर दिया.
ये वही लालू प्रसाद यादव हैं, जो 2014 के लोकसभा चुनाव में भी सारण से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके थे. तब उन्हें 9,957 वोट मिले थे. उस चुनाव में लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी राजद से मैदान में थीं और लगभग 40,000 वोट से चुनाव हार गई थीं. लोगों का अंदाजा था कि निर्दलीय उम्मीदवार लालू प्रसाद यादव को इतनी संख्या में वोट इसलिए मिले क्योंकि वे लालू के हमनाम थे, लिहाजा लालू इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे.
सारण जिले में ही मढ़ौरा के जादोरहीमपुर गांव में अपने घर के दरवाजे पर मिले लालू प्रसाद यादव कहते हैं, "लालू जी ने मुझे यहां के स्थानीय विधायक जितेंद्र कुमार राय के जरिए अपने आवास पर बुलवाया. मैं वहां गया तो लालू जी बोले, 'ऐ मीता, परनाम-परनाम. बैठिए, काहे ला चुनाव लड़ जाता बार-बार ई तोहरा बस के चीज बा? ई फेर में ना पड़ी. तहरा के हम एमएलसी बना देम. न होई त विधायक बना देम." (बिहार की लोकभाषाओं में हमनाम को मीता कहा जाता है. तीसरी कसम फिल्म में इसका बखूबी इस्तेमाल हुआ है, जब गाड़ीवान हिरामन नायिका हीराबाई को मीता कहता है.) मतलब यह कि लालू ने भोजपुरी में कहा, आप क्यों बार-बार चुनाव लड़ते हैं? इतने बड़े चुनाव में लड़ना आपके बस की बात नहीं. आप इसको छोड़िए, हम आपको एमएलसी या विधायक बनवा देंगे.
इसके बाद उनके हमनाम लालू प्रसाद यादव ने सारण से नामांकन वापस ले लिया. मगर उसी रोज वे महाराजगंज लोकसभा सीट से परचा भर आए. वहां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश कुमार महागठबंधन से चुनावी मैदान में थे.
लालू कहते हैं, "अब अखिलेश प्रसाद सिंह ने लालूजी के यहां पैरवी लगवाई, फिर जितेंद्र राय ने हमसे संपर्क किया और उनके कहने पर फिर हम नॉमिनेशन वापस ले लिए. बड़े लोगों का कहना था, मान लिए दोनों जगह से कुछ खर्चा-पानी भी मिल गया."
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin November 27, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin November 27, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं
जख्म, जज्बात और आजादी
निखिल आडवाणी के निर्देशन में बनी फ्रीडम ऐट मिडनाइट पर आधारित सीरीज में आजादी की उथल-पुथल से एक मुल्क बनने तक की कहानी
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
कंप्यूटिंग में नई क्रांति की कवायद
आइआइएससी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क प्रेरित कंप्यूटिंग की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो न्यूरल सिनेप्सेज की तरह सूचनाओं को प्रोसेस करता है. इसमें रफ्तार, क्षमता और डेटा सुरक्षा की भरपूर संभावना
चीन की चुनौती
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा और व्यापार बढ़ रहा है, भारत के सामने सस्ते चीनी आयात को किनारे लगाने तथा घरेलू उद्योग की जरूरतों को प्रोत्साहित करने की कठिन चुनौती
कौन सवारी करेगा मराठा लहर पर
मराठा समुदाय के लोगों में आक्रोश है और मनोज जरांगे - पाटील के असर में मराठवाड़ा 'से आखिरकार यह भी तय हो सकता है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बाजी किसके हाथ लगेगी
फिर बना सियासत का मर्कज
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 1968 में अजीज बाशा मामले में दिया गया फैसला. भाजपा नेताओं के निशाने पर आया एएमयू, आरक्षण, तालीम पर उठा रहे सवाल
जानलेवा तनाव
भारतीय कंपनियों में गैर - सेहतमंद कार्य - संस्कृति से कर्मचारियों की जान पर बन आई है. इससे वे तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों की चपेट में आ रहे और कई मौकों पर तो यह कल्चर उनके लिए मौत का सबब बन रही