ज्ञान आधारित भूमिकाएं जैसे आइडिएटर और इनोवेटर में दखल बढ़ाते हुए भारत वैल्यू चेन में अब ऊपर की तरफ चढ़ रहा है. इसी हवाले से आजकल एक शब्द काफी चर्चा में है - वैश्विक क्षमता केंद्र या जीसीसी जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ऑफशोर (विदेशों में स्थित ) इकाइयां हैं जो मूल संगठनों को सहायता उपलब्ध कराती हैं. उदाहरण के लिए, बहुराष्ट्रीय कंपनी रॉश का पुणे स्थित डिजिटल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ही देख लें. यह सेंटर अपनी मूल बायोटेक क्षेत्र की दिग्गज कंपनी की प्रौद्योगिकी और डाटा की मदद से डायग्नोस्टिक लैब में सारी प्रोसेस और मशीनें स्वचालित करने के प्रयासों को गति प्रदान कर रहा है. ऐसे अति महत्वपूर्ण नवाचारों का भारत केंद्रित होना बताता है कि कैसे कंपनियां अपने शोध और विकास को आगे बढ़ाने के लिए देश की प्रतिभा का इस्तेमाल करना चाहती हैं.
नैसकॉम और जिनोव की इंडिया जीसीसी लैंडस्केप रिपोर्ट के मुताबिक, भारत जीसीसी के लिए सबसे बड़ा बाजार है, जहां वित्त वर्ष 2024 तक ऐसे केंद्रों की संख्या 1,700 से अधिक पहुंच गई और इनमें 19 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है. खास बात यह है कि इनमें से 50 फीसद से अधिक उच्च गुणवत्ता वाले कार्यों में शामिल केंद्र में तब्दील हो चुके हैं. रॉश इन्फॉर्मेशन सॉल्यूशंस इंडिया के प्रबंध निदेशक राजा जमालमाडाका कहते हैं, "अपनी स्थापना के दो साल से भी कम समय में हम अत्याधुनिक नवाचार के मामले में सबसे आगे हैं. हम पहले ही 10 पेटेंट के लिए आवेदन कर चुके हैं."
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin December 04, 2024 sayısından alınmıştır.
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