राजधानी के वे लोग जो पैसे देकर पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर के पाऊच या पानी का जार खरीद रहे है उनकी गुणवत्ता की कोई गारंटी हो ऐसा माना ही नहीं जा सकता है। वजह जो जानकारी आरटीआई के जरिए खाद्य सुरक्षा अधिकारी भोपाल और भारतीय मानक ब्यूरो भोपाल के दफ्तरों से मिली हैं वे यह दर्शाती हैं कि पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर बनाने वाली कंपनियों की गुणवत्ता की जांच में भारी लापरवाही बरती जा रही है।
क्या है फूड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्ड एक्ट
अगस्त 2006 को भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने 2006 को 'फुड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्ड एक्ट' अनुमोदन किया था, जिसका पालन संपूर्ण भारत में किया जाना अनिवार्य है। एफएसएसएआई (फुड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्ड अथार्टी ऑफ इंडिया) ने भी पैकेन्ड ड्रिंकिंग वॉटर के निर्माण और बिक्री हेतु नियम बनाएं है। मप्र में भी भारतीय मानक ब्यूरो ने ऐसी कंपनियों को आईएसआई मार्क दिए है जिन्हें पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर का निर्माण पूर्ण गुणवत्ता से करना होता है। स्वच्छ और रोग मुक्त पेयजल मिलना लोगों का अधिकार है। मानव स्वास्थ्य के लिए यह सुनिश्चित करना है कि उन लोगों को मिलने वाला पानी सूक्ष्म जीवों, भारी धातुओं, कीटनाशकों और अन्य रसायनों जैसे दूषित पदार्थों से मुक्त हो । एफएसएसएआई के नियमों के तहत अब पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर पर बीआईएस प्रमाणन जरूरी है। पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर बिना आईएसआई मार्क के बेचा ही नहीं जा सकता है! फुड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्ड एक्ट 2006 की धारा 31 अनुसार सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफ.बी.ओ.) को फुड लायसेंस लेना जरूरी है ।
Bu hikaye Open Eye News dergisinin February 2023 sayısından alınmıştır.
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