शिमला में बारिश इतनी भयावह कभी नहीं रही। इस मानसून में बारिश के प्रकोप ने देश के लोकप्रिय हिल स्टेशन और हिमाचल प्रदेश की राजधानी में मानो प्रलय ला दी। पहाड़ों की रानी ऊपर से लेकर नीचे तक तबाह हो गई है। इस विनाश ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया है। भूस्खलन और इमारतों के ढहने के डर से कई परिवार एक पखवाड़े से अधिक समय से सोये नहीं हैं। कुछ लोग अपने घर छोड़ कर सुरक्षित जगहों पर जा चुके हैं। कुछ और लोग शिमला से दूर कहीं अपने रिश्तेदारों के घर में रह रहे हैं। जो बच गए हैं, वे लगातार डूब के साये में जी रहे हैं। दिन-रात मौसम विभाग की नियमित चेतावनियों ने लोगों की नींद उड़ा दी है।
मूसलाधार बारिश और बड़े पैमाने पर बादल फटने की घटनाओं ने शिमला के सामने जैसा खतरा इस बार पैदा किया, वैसा खतरा शहर के बुजुर्ग मानते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में कभी अनुभव नहीं किया था। बीते 7 से 11 जुलाई और 13 से 16 अगस्त के बीच हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश, बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ के चलते जैसी अभूतपूर्व प्राकृतिक आपदा आई, उसमें अब तक 370 से अधिक मौतें हुई हैं और 40 व्यक्ति अब भी लापता हैं। लोग अब तक इस गंभीर स्थिति से उबर नहीं पाए हैं।
यहां के प्राचीन शिव बावड़ी मंदिर में सावन सोमवार पूजा के लिए दो दर्जन लोग इकट्ठा थे। अचानक मंदिर के ऊपर बादल फटा और सबको एक झटके में ले डूबा। बादल फटने से ऐसी तबाही मची कि भूस्खलन के चलते मंदिर पूरी तरह जमींदोज हो गया। लगातार बारिश के बाद कृष्णा नगर में इमारतें ढहने के डरावने वीडियो सामने आए, जो देखते ही देखते वायरल हो गए। इस बारिश में कई जगहों पर भूस्खलन भी हुआ, जिसके चलते देवदार के भारी वृक्ष जड़ से उखड़ गए और 100 से अधिक इमारतें रहने के लायक नहीं रह गईं। अब सवाल उठ रहे हैं कि शिमला और दूसरे पहाड़ी इलाके अचानक इतने असुरक्षित कैसे हो गए।
पिछले कुछ वर्षों में हिमालयी शहर भूस्खलन, इमारतों के ढहने, जमीन की कटान और आपदाओं के प्रति ज्यादा ही संवेदनशील हुए हैं। इसके पीछे प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों कारण रहे हैं। शिमला में बीते वर्षों के दौरान जैसे लापरवाह, अनियोजित और बेतरतीब अवैध निर्माण किए गए, उससे पहाड़ पर बोझ बढ़ा और हरियाली तकरीबन पूरी तरह गायब हो गई है।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin September 18, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin September 18, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
हमेशा गूंजेगी आवाज
लोककला के एक मजबूत स्तंभ का अवसान, अपनी आवाज में जिंदा रहेंगी शारदा
क्या है अमिताभ फिनामिना
एक फ्रांसिसी फिल्मकार की डॉक्यूमेंट्री बच्चन की सितारा बनने के सफर और उनके प्रति दीवानगी का खोलती है राज
'एक टीस-सी है, नया रोल इसलिए'
भारतीय महिला हॉकी की स्टार रानी रामपाल की 28 नंबर की जर्सी को हॉकी इंडिया ने सम्मान के तौर पर रिटायर कर दिया। अब वे गुरु की टोपी पहनने को तैयार हैं। 16 साल तक मैदान पर भारतीय हॉकी के उतार-चढ़ाव को करीब से देखने वाली 'हॉकी की रानी' अपने संन्यास की घोषणा के बाद अगली चुनौती को लेकर उत्सुक हैं।
सस्ती जान पर भारी पराली
पराली पर कसे फंदे, खाद न मिलने और लागत बेहिसाब बढ़ने से हरियाणा-पंजाब में किसान अपनी जान लेने पर मजबूर, हुक्मरान बेफिक्र, दोबारा दिल्ली कूच की तैयारी
विशेष दर्जे की आवाज
विधानसभा के पहले सत्र में विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पास कर एनसी का वादा निभाने का दावा, मगर पीडीपी ने आधा-अधूरा बताया
महान बनाने की कीमत
नाल्ड ट्रम्प की जीत लोगों के अनिश्चय और राजनीतिक पहचान के आपस में नत्थी हो जाने का नतीजा
पश्चिम एशिया में क्या करेंगे ट्रम्प ?
ट्रम्प की जीत से नेतन्याहू को थोड़ी राहत मिली होगी, लेकिन फलस्तीन पर दोनों की योजनाएं अस्पष्ट
स्त्री-सम्मान पर उठे गहरे सवाल
ट्रम्प के चुनाव ने महिला अधिकारों पर पश्चिम की दावेदारी का खोखलापन उजागर कर दिया
जलवायु नीतियों का भविष्य
राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के लिए जश्न का कारण हो सकती है लेकिन पर्यावरण पर काम करने वाले लोग इससे चिंतित हैं।
दोस्ती बनी रहे, धंधा भी
ट्रम्प अपने विदेश, रक्षा, वाणिज्य, न्याय, सुरक्षा का जिम्मा किसे सौंपते हैं, भारत के लिए यह अहम