जहां हो खुशियों की वर्षा
1172-76 में बंगाल के राजा बल्लाल सेन ने मिथिला पर चढ़ाई कर दी और राजा नान्यदेव को बंदी बना लिया। विजयी राजा जब बंगाल लौटे, तो बंगाल की प्रजा ने उन्हें ‘निशंक-शंकरा’ की उपाधि से विभूषित किया। नान्यदेव के बेटे गंगदेव को जब पिता के कैद की सूचना मिली, तो उन्होंने बंगाल पर चढ़ाई कर दी और अपने पिता को छुड़ा लिया, लेकिन जमीन वापस नहीं पा सके। भागलपुर परगना का यह इलाका बल्लाल सेन के हिस्से चला गया। बल्लाल सेन ने अपनी उपाधि के कारण इस क्षेत्र का नाम निशंकपुर रखा। यही निशंकपुर बाद में अपभ्रंश होकर ‘निसंखपुर कोढ़ा’ बन गया। सोनबरसा नाम को लेकर कुछ लोगों का मानना है कि निशंकपुर परगना का यह नाम गंधबरिया राजवंश के राजा निशंक सिम्हा के नाम पर पड़ा है, लेकिन बल्लाल सेन के सनोखर शिलालेख से इस बात का पता चलता है कि बल्लाल सेन का प्रभुत्व भागलपुर तक था। माना जाता है कि सेन वंश के शासन का केंद्रबिंदु निशंकपुर कोढ़ा ही था। बाद में जब गंधवरिया राजवंश के प्रतापी राजा हरिबल्लभ नारायण सिंह ने यहां का राज्यभार संभाला तो यहां सोने (खुशियों) की वर्षा होने लगी, जिसके कारण यहां का नाम बदलकर सोनवर्षा हो गया।
सोन की खेती
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin October 30, 2023 sayısından alınmıştır.
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