12th फेल के किरदार से खुद को कैसे जुड़ा पाते हैं ?
हम सभी जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझते हैं और उसी में राह बनाते हैं। यह फिल्म लेखक अनुराग पाठक के उपन्यास पर आधारित है। जब मैंने उपन्यास पढ़ा, तो दो तीन दफे मेरे आंसू निकल गए। मैं अपने संघर्ष का महिमामंडन करना नहीं चाहता लेकिन मैंने खुद मध्यमवर्गीय परिवार से निकलकर जी तोड़ मेहनत की है, मायानगरी में काम हासिल करने के लिए। मैंने नकारे जाने की पीड़ा सही है। असफलता का स्वाद चखा है। इसलिए इस फिल्म का किरदार मेरे निजी जीवन के बेहद करीब रहा है। जिन्होंने भी अपनी मेहनत, जुझारूपन से तकदीर बदली है, उन्हें फिल्म में अपनी झलक दिखाई देगी। यह फिल्म लड़ना सिखाती है, शून्य से शुरुआत करना सिखाती है।
बड़ा तबका असफलता के बाद नई शुरुआत नहीं कर पाता। उन्हें फिल्म कैसे प्रेरित करती है?
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin November 13, 2023 sayısından alınmıştır.
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