अमूमन हर चुनाव कुछ नए नेतृत्व के लिए दरवाजे खोलता है, लेकिन 2023 के आखिर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव कुछ हटकर साबित हुए और राजनीति के चेहरों के मामले में नई इबारत लिख गए। ईवीएम मशीनों से चौंकाऊ जनादेश ही नहीं, बल्कि नए नेता भी ऐसे उभरे कि हैरान कर गए। कुछ एक हद तक प्रत्याशित थे तो कुछ बेहद अप्रत्याशित, इस कदर कि उनकी जानकारियां खंगालनी पड़ीं। सबमें बस यही समानता है कि पांचों राज्यों के मुखिया राजनैतिक परिदृश्य में अपनी नई अहमियत का एहसास करा रहे हैं।
पूर्वोत्तर के मिजोरम में पहली बार बतौर पार्टी चुनाव मैदान में उतरे जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) की अच्छी-खासी जीत के बाद राज्य की बागडोर संभाल रहे 71 वर्षीय ललदुहोमा के अलावा तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री उम्र के छठवे दशक में हैं, जो राजनीति में अपेक्षाकृत युवा उम्र ही कहलाती है। 1987 में वजूद में आए मिजोरम में गद्दी अब तक मिजो नेशनल फ्रंट और कांग्रेस के बीच ही बारी-बारी से बंटती रही है। इस मायने में ललदुहोमा का उदय भी नया है।
तेलंगाना में 54 वर्षीय ए. रेवंत रेड्डी इस मायने में प्रत्याशित थे कि बतौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उन्होंने अजेय-से के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की पराजय के करिश्माई अभियान की अगुआई की थी लेकिन कई पार्टियां बदलने और 2017 में ही कांग्रेस में आने के कारण राज्य पार्टी में उनका विरोध भी काफी था। कांग्रेस नेतृत्व का उनके पक्ष में फैसला पीढ़ीगत बदलाव का इशारा है।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin January 08, 2024 sayısından alınmıştır.
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