हिंदुस्तानी संगीत में शास्त्रीय गायन की बड़ी हस्ती विदूषी प्रभा अत्रे के निधन से किराना घराने की गायिकी का स्तंभ ढह गया। प्रभा अत्रे पुराने गायकों की पीढ़ी की आखिरी चिराग थीं। सही मायने में संगीत की इस महान साधक के चले जाने से एक युग समाप्त हो गया। प्रभा अत्रे ने जो पारी खेली वह अपने में अनूठा है और अब इतिहास बन गया है।
इतने साल तक हिंदुस्तानी संगीत के उच्च स्थान पर विराजमान रहीं प्रभा अत्रे गायन में अपना एक अलग मुकाम कायम करने के लिए किन-किन रास्तों से गुजरीं, उसकी लंबी दास्तान है। एक प्रखर और सुरीली गायिका के अलावा संगीत शास्त्र और भारतीय संस्कृति में उनका गहन अध्ययन और समझ थी। उन्होंने बहुत गहराई से सदियों पुरानी संगीत विधा पर शोध किया और उसके रहस्य को बड़ी सूक्ष्मता से देखा, परखा और लिख कर इसे प्रकाशित किया। उनका मानना था कि संगीत विधा सिर्फ गाने-बजाने की चीज नहीं है। उसके पीछे हमारी संस्कृति की बड़ी विरासत है। प्रभा जी ने संगीत पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं। संगीत समझने वालों के लिए यह बड़ी देन है। उन्होंने गायन की बंदिशों में शब्दों की शुद्धता और साहित्य पर बहुत ध्यान दिया।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin February 05, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin February 05, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी