हाल ही में एक सुबह बडगाम के बीचोबीच स्थित एक बेकरी की दुकान में दो ग्राहक सूबे में पड़े सूखे पर आपस में चर्चा कर रहे थे। दुकानदार मोहम्मद अशरफ (40 वर्ष) चुपचाप एक बुजुर्ग ग्राहक के कहे पर सिर हिला रहे थे। वह बुजुर्ग इस बार घाटी में हुई कम बर्फबारी और सूखे से खेती पर पड़ने वाले असर के ऊपर चिंता जता रहे थे। ग्राहकों के जाने के बाद मैंने अशरफ से सियासत पर चर्चा छेड़ दी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र किया, यह मानते हुए कि उनकी ओर से इस पर कोई टिप्पणी नहीं आएगी लेकिन अनपेक्षित रूप से उन्होंने बोलने में कोई संकोच नहीं किया।
तंदूर के किनारे बैठकर नमक वाली चाय सुड़कते हुए अशरफ मेरी आंखों में सीधे देखते हुए बोले, “मोदी अच्छा आदमी है।” उनका एक नौजवान सहयोगी तंदूर पर काम कर रहा था तो दूसरा, जो करीब पैंतालीस साल का था, आटा गूंथ रहा था। अशरफ बोले, “मोदी ने हेल्थ कार्ड दिया जिससे सैंकड़ों लोगों को फायदा मिल रहा है। इसके अलावा वह हर महीने बुजुर्गों को हजार और डेढ़ हजार रुपये भी देता है।” फिर अशरफ ने अपने गांव क्रेमशर के एक बुजुर्ग की कहानी सुनाई, जो मोदी के खिलाफ एक शब्द सुनने को तैयार नहीं क्योंकि उसे हर महीने डेढ़ हजार रुपये मिलते हैं।
श्रीनगर के एक निजी अस्पताल के बाहर मिले एक व्यक्ति ने बताया कि उसके एक करीबी रिश्तेदार को अपेंडिक्स था और उसकी हालत बिगड़ गई थी। उसने बताया, “इस अस्पताल में हमने उनका ऑपरेशन करवाया और हमारा एक पैसा नहीं लगा।”
वर्ष 2020 में शुरू की गई आयुष्मान भारत पीएम-जेएवाई सेहत योजना का लाभ जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों को मिलता है। इसके अंतर्गत हर परिवार को पांच लाख रुपये का मुफ्त बीमा कवरेज प्राप्त है।
जाहिर है, किसी हारी-बीमारी की हालत में जब किसी को सरकारी योजना का सहारा मिल जाता है तो मन पर उसका गहरा असर होता है। अशरफ जैसे तमाम कश्मीरी भी इसीलिए इस लाभदायी योजना को उस नेता के साथ जोड़कर देखते हैं, जिसकी छवि हर जगह हर समय किसी न किसी रूप में उनके सामने मौजूद है।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin March 18, 2024 sayısından alınmıştır.
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