ढाई हजार वर्ष पुराना बौद्ध धर्म भले भारत से उखड़ गया हो लेकिन भगवान बुद्घ एशिया के कई देशों के लिए खासे मायने रखते हैं। बेशक, सैलानियों के लिए बुद्ध से जुड़े स्थल आकर्षण के केंद्र भी हैं। यही कारण है कि भारत सरकार बुद्ध का "सांस्कृतिक कूटनीति" के रूप में इस्तेमाल करती रही है और समय-समय पर बौद्ध देशों के निमंत्रण पर भारत से बुद्ध के अवशेष वहां जाते रहे हैं। इससे उन देशों के साथ भारत के रिश्ते और मजबूत होते हैं तथा भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि भी बनती है।
मोदी 2022 में बुद्ध की जन्मस्थली नेपाल की लुंबिनी में भी गए, और वहां इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर बुद्धिस्ट कल्चर का उद्घाटन किया था। पिछले दिनों 30 साल के बाद भगवान बुद्ध के चार पवित्र अवशेषों को वायु सेना के विशेष विमान से थाईलैंड भेजा गया। इसका राजनैतिक महत्व इस बात से पता चलता है कि ये अवशेष 22 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भेजे गए, जिसका नेतृत्व बिहार के राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर ने किया। इसमें सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र सिंह भी शामिल थे।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin March 18, 2024 sayısından alınmıştır.
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