सात चरणों में संपन्न हुए अठारहवीं लोकसभा के चुनावों के पहले चरण के बाद ही यह संकेत मिल गया था कि देश की जनता के बड़े हिस्से ने सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। बड़ी संख्या में बेरोजगार नौजवान और पहले से ही आंदोलनरत किसानों की इसमें बड़ी भूमिका रही। इस परिघटना से एक तरफ विपक्ष को प्रोत्साहन मिला, वहीं नरेंद्र मोदी खुद ने अल्पसंख्यक मुसलमानों के खिलाफ हिंदू बहुसंख्यवाद के हथियार को चरम सीमा तक जाकर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। उन्हें लगा कि वे नए भारत के "भाग्यविधाता” के सिंहासन से गिरने वाले हैं, तो को "दिव्य अस्तित्व" तक घोषित कर दिया। अगर विपक्ष का गठबंधन समुचित समझदारी के साथ अखिल भारतीय स्तर पर किया गया होता, तो अलग-अलग प्रदेशों के चुनाव परिणामों में इतनी भिन्नता शायद न होती और भाजपा की सीटें काफी कम हो सकती थीं।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin June 24, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin June 24, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी