महामारी और जन स्वास्थ्य ए. के. अरुण प्रकाशन | अंतिका पृष्ठ: 224 | मूल्य: 350 रुपये
चार साल पहले एक सैलाब आया था। वह बहुत कुछ बहा कर ले गया। इतिहास गवाह है कि हर महामारी के बाद दुनिया की शक्ल बदली है। हम नहीं जानते कि कोविड-19 नाम की महामारी के बाद निरंतर बदल रही दुनिया की परियोजना अभी मुकम्मल हुई है या नहीं, कब तक होगी और कैसे होगी, लेकिन इतना तय है कि 2020 के मार्च में रातोरात किया गया महामारी का राष्ट्रीय ऐलान और उसके परिणामस्वरूप की गई राष्ट्रीय तालाबंदी ने सबके जीवन पर दीर्घकालिक और बुनियादी असर अवश्य डाला है। उसकी आहट आज भी हर दिन हो रही असामान्य मौतों, उद्घाटनों और सुर्खियों में देखने को मिल रही हैं।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin July 08, 2024 sayısından alınmıştır.
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शहरनामा - बेलगावी
दो नाम सुन कर आपको आश्चर्य होता है। क्यों? आपके दो नाम होते हैं, सो मेरे भी हैं, बेलगाम और बेलगावी।
जय जय श्रीजेश!
भारतीय हॉकी के गौरव में इजाफा करने वाले दिग्गज गोलकीपर की प्रेरणादाई खेल यात्रा पर एक नजर
"संसाधनों की लूट रोकूंगा"
पिछले मानसून में भीषण तबाही झेलने के बाद इस जुलाई के अंत में फिर आई विनाशक बाढ़, बादल फटने की घटनाओं और उसकी वजह से हुआ जानमाल का नुकसान हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए दोहरा सदमा साबित हुआ है। ये घटनाएं स्पष्ट वैज्ञानिक साक्ष्य हैं कि किस तरह ना हिमालयी क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन और इनसानी गतिविधियां प्रभावित कर रही हैं। सूबे के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी इस बात को अब मान रहे हैं कि इलाके में गर्मी अपेक्षा से ज्यादा तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसके चलते वनक्षेत्र में कमी आ रही है, हिमनद पिघल रहे हैं और बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं अक्सर सामने आ रही हैं। राज्य में टिकाऊ वृद्धि के समक्ष जलवायु संबंधी इन खतरों और चुनौतियों के मद्देनजर वे 2026 तक हिमाचल को 'हरित प्रदेश' बनाने की बात करने लगे हैं। उन्होंने 2032 तक राज्य को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की भी बात की है। शिमला में आउटलुक के अश्वनी शर्मा के साथ इन मसलों पर उनसे हुई बातचीत के अंश:
सुर्खियां हटीं, तो सक्रियता छूटी
स्त्री सशक्तीकरण के सरकारों की तमाम जुमलेबाजी के बावजूद बलात्कार की कुसंस्कृति और पितृसत्ता से निपटने में पूरी कानून-व्यवस्था लगातार नाकाम
बलात्कार का समाज-शास्त्र
बलात्कार की एक और घटना ने इस बार फिर लोगों को उद्वेलित किया लेकिन क्या अपराध रोकने के लिए इतना काफी
यौनाचार के आरोप
हेमा कमीशन की रिपोर्ट से मलयालम फिल्म जगत में शुरू हुए नए-नए खुलासे
बलात्कार की 'सत्ता'
बलात्कार और यौन हिंसा के मामलों में दंड की दर हर दशक में लगातार घटती रही है, ऐसे अपराधों पर प्रतिक्रिया और इंसाफ देने में राज्य लगातार नाकाम होता गया है
यौन हिंसा की कुकथा
तारीख बदलती है, शहर या राज्य बदलता है, बस बढ़ती जाती है क्रूरता और जघन्यता, बलात्कार के बाद सजा में देरी ऐसे मामलों की संख्या में लगातार इजाफा ही कर रही
कितना चटकेगा चंपाई रंग
आसन्न राज्य चुनावों के ऐन पहले झामुमो से टूट कर भाजपा के पाले में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री कितने प्रभावी
नई नीति का तोहफा
बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीति 2024 से बदल सकती है सूरत