लोकसभा चुनाव के बाद श्रीनगर में दिए अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 जून को वादा किया कि जम्मू और कश्मीर में 'जल्द ही' असेंबली चुनाव करवाए जाएंगे और राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। यहां के राजनीतिक दल इस वादे पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। डल झील के किनारे शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कनवेंशन सेंटर में प्रधानमंत्री ने कहा था, "जम्मू और कश्मीर के लोग स्थानीय स्तर पर अपने नुमाइंदों को चुनते हैं। इन्हीं के माध्यम से आप अपनी समस्याएं हल करने के रास्ते निकालते हैं। इससे बेहतर और क्या हो सकता है। भला। इसलिए अब असेंबली चुनाव की तैयारियां शुरू की जा चुकी हैं। वह समय दूर नहीं जब आप अपने वोट से जम्मू और कश्मीर की नई सरकार चुनेंगे। फिर वह दिन भी जल्द आएगा जब जम्मू और कश्मीर एक राज्य बनकर अपना भविष्य संवारेगा।'
यहां असेंबली चुनाव करवाने में जिस तरह की देर हुई है, इसे लेकर क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ओर उनके नेताओं के मन में शंकाएं हैं। प्रधानमंत्री के बयान के बाद शुरुआती प्रतिक्रिया नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के राजनीतिक सलाहकार तनवीर सादिक की आई, "आपको पता होना चाहिए कि चुनाव आयोग का काम सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार चुनाव करवाना है और सरकार का काम चुनावी माहौल को शांतिपूर्ण बनाए रखना है। जहां तक राज्य के दर्जे की बहाली वाली बात है, बीते चार साल में बीस बार हम सुन चुके हैं कि ऐसा 'जल्द' किया जाएगा। यह 'जल्द ' आसपास तो कहीं नहीं दिखता।"
पीडीपी के नेता वहीदुर्रहमान पर्रा ने याद दिलाया कि 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 समाप्त करने के बाद भी प्रधानमंत्री ने विधानसभा चुनाव 'जल्द ' करवाने का भरोसा दिया था। इसके समर्थन में उन्होंने 8 अगस्त, 2019 की रायटर्स की एक खबर एक्स पर शेयर की जिसका शीर्षक नरेंद्र मोदी का बयान था कि "भारत जल्द ही जम्मू और कश्मीर में असेंबली चुनाव करवाएगा।'
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin July 22, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin July 22, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी