अपनी व्यावसायिक फिल्मों की लोकप्रियता के लिए मशहूर मलयाली फिल्मकार अंजलि मेनन ने हाल ही में मलयाली सिनेमा में औरतों की नुमाइंदगी पर एक अहम सवाल उठाया है। बीते एक साल से मलयाली सिनेमा उद्योग लगातार एक पर एक हिट देता जा रहा है और दूसरी भाषाओं व राज्यों से भी खूब मुनाफा कमा रहा है। ऐसे में अंजलि मलयाली सिनेमा में पुरुषों के वर्चस्व और औरतों के कम प्रतिनिधित्व पर सवाल खड़ा करती हैं। मसलन, हालिया हिट फिल्में मंजुम्मेल बॉएज और आवेशम पूरी तरह से पुरुषों की दुनिया, उनके रोमांचकारी साहस, दोस्ताने आदि पर केंद्रित है, जिसमें महिलाओं को दोयम किरदारों में दर्शाया गया है।
अंजलि मेनन के सवाल ने सोशल मीडिया पर चर्चा छेड़ दी है और यह बात उभरकर सामने आ रही है कि ऐतिहासिक रूप से औरतों को केवल हीरो की प्रेमिका, पत्नी, मां या बहन की भूमिकाओं तक सीमित रखा गया था जो उसी के बुने अफसाने को पुष्ट करती रही थीं। 2023 के बाद से लगातार हिट हुई फिल्मों में यह बहस फिर उठ खड़ी हुई है। इसने सिने उद्योग में लैंगिकता के इस सवाल को पड़ताल के दायरे में ला दिया है।
अंजलि के सवाल उठाने के कुछ दिन बाद ही इसका जवाब भी आ गया, "मलयाली सिनेमा में औरतें कहां हैं? वे कान में नाच रही हैं।" सोशल मीडिया पर पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट की कामयाबी की चौतरफा चर्चा है, जिसे कान फिल्म समारोह में ग्रां प्री ज्यूरी का पुरस्कार मिला है। यह फिल्म दो मलयाली नर्सों अनु और प्रभा की जिंदगी के संघर्ष पर केंद्रित है, जो मुंबई के एक अस्पताल में काम करती हैं और एक तंग अपार्टमेंट में रहती हैं। बजबजाते हुए महानगर में उनकी रोजमर्रा की जिंदगी की चुनौतियों, उनकी आंतरिक यात्रा और कामयाबियों पर यह फिल्म नजर डालती है।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin July 22, 2024 sayısından alınmıştır.
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