जब शाहरुख खान की चक दे इंडिया आई थी, तो दर्शकों को इसमें एक रीयल हीरो नजर आया और इसी बात ने बॉक्स पर पैसे बरसाए थे। इसके बाद फरहान अख्तर की भाग मिल्खा भाग आई। यह फिल्म चक दे इंडिया की तरह धमाल भले न मचा पाई लेकिन दर्शकों ने उसे नकारा नहीं । यह भी हिट की श्रेणी में रही। इसके बाद एमएस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी आई और छा गई। इन फिल्मों की सफलता से निर्माता-निर्देशकों को लगा कि खिलाड़ियों का जीवन सुनहरे परदे पर दिखाना फायदे का सौदा है। क्योंकि आमिर खान की दंगल और सलमान खान की सुल्तान दोनों ही फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित हुईं। यहीं पर फिल्म जगत चूक गया और विषय की भेड़चाल में फंस गया।
सूरमा, साइना, शाबाश मिठू ऐसी ही फिल्में हैं, जो पर्याप्त दर्शक नहीं जुटा पाईं। बीते कुछ समय से हिंदी सिनेमा में खेल आधारित फिल्में लगातार फ्लॉप हो रही हैं। खिलाड़ियों के जीवन पर आधारित बायोपिक फिल्मों से लेकर बड़े स्टार कास्ट वाली खेल आधारित फिल्में, बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिर रही हैं।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin July 22, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin July 22, 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी