पंद्रह जुलाई को बांग्लादेश में जो हुआ, उसने 2018 की याद ताजा कर दी। नीलखेत मोड़ पर वॉटर कैनन, पुलिस के वाहन और पुलिसवालों की लंबी कतारे बता रही थीं कि वे पूरी तरह तैयार हैं। किस चीज के लिए? निश्चित रूप से निहत्थे छात्रों को बचाने के लिए नहीं या जनता की सुरक्षा के लिए नहीं। जब छात्रों पर हमला हो रहा था, तो पुलिस ने उंगली तक नहीं उठाई। सत्ताधारी दल के छात्र संगठन छात्र लीग के हथियारबंद गुंडे पिछली रात से अपने गिरोहों को जमा करने में जुटे हुए थे। उन्होंने खुलेआम छात्रों को प्रदर्शन न करने की चेतावनी देते हुए धमकी दी थी। तय था कि पुलिस उनका ही बचाव करेगी, छात्रों का नहीं।
इसकी वजह भी साफ थी। पिछले दरवाजे से दिए जाने वाले कोटा का लाभ छात्र लीग के लिए ही बनाया गया था। जाहिर है, जब हेलमेट पहने सरकारी गुंडे खुले छोड़े गए तो छात्रों के पास अपने बचाव के लिए करने को कुछ खास नहीं था। दूसरी ओर पुलिस ने इस तमाशे को खुलकर चलने दिया। पुलिस तभी हस्तक्षेप कर रही थी जब लोगों की ताकत गुंडों पर भारी पड़ जाती थी।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin August 19, 2024 sayısından alınmıştır.
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