भारतीय हॉकी टीम के दिग्गज गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के साथ ही हॉकी को अलविदा कह दिया। श्रीजेश के अहम योगदान से भारत ने में स्पेन को 2-1 से हराया। यह लगातार दूसरी बार था, जब श्रीजेश ने भारतीय हॉकी टीम को कांस्य जिताया। जीवन के 18 वर्ष भारतीय हॉकी को समर्पित करने वाले श्रीजेश ने टोक्यो 2020 में भी यह कारनामा किया था। यह उपलब्धि 52 वर्षों के बाद टीम की लगातार दूसरी पोडियम फिनिश थी, जिससे ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पदकों की रिकॉर्ड संख्या 13 हो गई। श्रीजेश की यात्रा यादगार लम्हों, बेहतरीन कौशल और दृढ़ समर्पण की गवाह रही है। यही कारण रहा कि उन्हें भारतीय हॉकी खिलाड़ी के रूप में ऐतिहासिक विदाई दी गई। क्रिकेट के दीवाने देश को हॉकी के मुकाबलों के दौरान स्क्रीन पर टिकाए रखना, भले ही वह टीवी की हो या मोबाइल की, बड़ा ही जद्दोजहद भरा काम है। श्रीजेश अपने खेल से ऐसा कर पाए।
उम्दा खेल की वजह से प्रशंसकों ने श्रीजेश को भारतीय हॉकी की दीवार यानी ‘द ग्रेट वॉल’ नाम दिया। एक समय था जब श्रीजेश हॉकी नहीं खेलना चाहते थे। लेकिन शायद यही उनकी मंजिल थी कि तकदीर ने उन्हें हॉकी का लीजेंड बना दिया। अपने कौशल, बेहतर खेल तकनीक से खेलप्रेमियों का दिल जीतने वाले श्रीजेश के करिअर में उतार-चढ़ाव भी रहे हैं।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin September 16, 2024 sayısından alınmıştır.
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