रोजाना की तरह 4 सितंबर को भी उज्जैन के व्यस्ततम कोयला फाटक चौराहे पर लोगों का आना-जाना लगा हुआ था। एक आदमी नागदा शहर से उज्जैन ' पहुंचा था और उसी चौराहे से गुजर रहा था। उसने फुटपाथ पर एक औरत का बलात्कार होते हुए देखा। और लोगों ने भी यह दृश्य देखा। खुलेआम हो रहे बलात्कार में किसी ने कोई दखल नहीं दिया, बलात्कारी को आवाज लगाने, रोकने या पुलिस को बुलाने की बात तो दूर रही। सबने अपने-अपने मोबाइल से उस बलात्कार का वीडियो बनाया। कुछ लोगों ने उसे सोशल मीडिया पर डाला, तो कुछ ने दूसरों को वॉट्सऐप से भेजा। नागदा से आए शख्स के सोशल मीडिया पर डाले वीडियो से बलात्कारी की पहचान हुई। उसे गिरफ्तार किया गया। बाद में नागदा वाले को भी गिरफ्तार कर लिया गया। बलात्कार को शूट करने वाले और राहगीरों की तलाश चल ही रही थी कि दो दिन बाद नागदा में एक संत को निर्वस्त्र करके मारा-पीटा गया। गुना के संत गोपालदास ने नागदा के त्यागी आश्रम जाते वक्त दो राहगीरों से बस रास्ता पूछ लिया था। राहगीर सत्ताधारी दल के एक पूर्व मंत्री का भाई निकला। चौबीस घंटे बाद उसकी गिरफ्तारी तो हो गई, लेकिन अगले ही दिन वह जमानत पर छूट गया।
महाकाल की नगरी में क्या औरत और क्या साधु, दोनों का सरेराह हुआ अपमान अब राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। उज्जैन शहर का यह कोई पहला ऐसा मामला नहीं है, जब अज्ञात लोग बलात्कार जैसे जघन्य अपराध पर वीडियो बनाते पाए गए। लगभग एक साल पहले सितंबर में ही एक खून से लथपथ एक अर्धनग्न बच्ची का वीडियो वायरल हुआ था, जो घर-घर भटकते हुए लोगों से मदद मांगती दिख रही थी। लोगों ने मदद करने के बजाय उसका वीडियो बना लिया था।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin September 30, 2024 sayısından alınmıştır.
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