भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) में दूसरे नंबर पर 1958 में स्थापित आइआइटी, बॉम्बे ने हाल ही में अपना प्लेसमेंट डेटा जारी किया है। इसके अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान संस्थान के छात्रों की औसतन 23.5 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर नौकरी लगी है। यह दो लाख रुपये महीने वेतन के आसपास बैठता है। चौंकाने वाली बात है कि करीब एक-चौथाई छात्रों को नौकरी नहीं मिली है। जिन्हें नौकरी मिली, उनमें सबसे कम पैकेज चार लाख रुपये सालाना यानी करीब तीस हजार रुपये महीने का है। पिछले साल न्यूनतम वेतन छह लाख रुपये सालाना यानी पचास हजार प्रतिमाह था। ये आंकड़े आइआइटी के बारे में आम धारणा के विपरीत हैं। आइआइटी से पढ़े छात्रों के बीच बढ़ती बेरोजगारी को सबसे पहले यहीं से पढ़े एक छात्र ने उजागर किया था। आइआइटी, कानपुर के पूर्व छात्र और ग्लोबल आइआइटी एलुमनाइ सपोर्ट ग्रुप के संस्थापक धीरज सिंह ने सूचना के अधिकार के तहत आवेदन कर के आंकड़े निकाले हैं। आइआइटी, बॉम्बे की प्लेसमेंट रिपोर्ट के बारे में उन्होंने आउटलुक से कहा, “सिर्फ 61 फीसदी छात्रों को ही नौकरी मिली है। 39 फीसदी से ज्यादा छात्रों को नौकरी नहीं मिली।” धीरज बताते हैं कि इस बार करीब 2414 छात्रों ने प्लेसमेंट में हिस्सा लिया था। उनमें से 433 छात्र बहुत सक्रिय नहीं थे। प्लेसमेंट में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने वालों में से 1475 छात्रों को नौकरी मिली और 504 छात्रों को नौकरी नहीं मिली। प्लेसमेंट रिपोर्ट की मानें, तो 22 छात्रों को एक करोड़ से अधिक सालाना पैकेज वाली नौकरी मिली है।
धीरज कहते हैं, “ये संस्थान औसत वेतन को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन यह भ्रामक है। पूरा डेटा देखने के बाद इस बार आइआइटी बॉम्बे का औसत पैकेज 17-18 लाख रुपये सालाना निकलता है। इस बार 206 छात्र ऐसे हैं जिनका पैकेज 10 लाख रु. सालाना से भी कम है। औसत का आधा।”
टूट रही धारणा
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दुनिया के शीर्ष उच्च शिक्षा संस्थानों में शामिल हैं। सर्वे भी इसकी पुष्टि करते हैं। देश में लंबे समय से एक धारणा रही है कि आइआइटी से डिग्री हासिल करना सुरक्षित भविष्य का एक रास्ता है। यह हकीकत अब बदलती नजर आ रही है।
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin October 14, 2024 sayısından alınmıştır.
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