उपचुनाव इस देश में आम तौर से बड़ी शांति से निपट जाते थे। मतदान की तारीख आखिरी मौके पर बदलना या किसी एक सीट के उपचुनाव को टाल देना चुनाव आयोग के चलन का हिस्सा कभी नहीं रहा, लेकिन 2024 के आम चुनाव के बाद यह परिपाटी बदल गई सी लगती है। जब मतदान में महज हफ्ते भर का वक्त बच रहा था, चुनाव आयोग ने अप्रत्याशित रूप से तीन राज्यों के चुनाव की तारीख 4 नवंबर को अचानक बदल दी। कुल 15 राज्यों की 48 विधानसभा और दो लोकसभा सीटों पर नवंबर की 13 तारीख को होने वाले उपचुनावों की घोषणा जब 15 अक्टूबर को की गई थी, तब उत्तर प्रदेश की सूची में अयोध्या की मिल्कीपुर सीट का नाम नदारद पाकर पहले तो अच्छा-खासा हंगामा कटा।
उक्त चुनावी अधिसूचना में केवल दो सीटें तारीख के मामले में अपवाद थीं - महाराष्ट्र की नांदेड़ संसदीय सीट और केदारनाथ की विधानसभा सीट - जहां 20 नवंबर को मतदान तय था। अब पंजाब की चार, केरल की एक और यूपी की नौ सीटों पर (कुल 14) भी मतदान की तारीख 20 नवंबर ही कर दी गई है, तो चर्चा आम है कि भारतीय जनता पार्टी किसी भी जुगत से उपचुनावों में आम चुनाव का बदला लेने की फिराक में है।
यूपी: मैदान में योगी
खासकर उत्तर प्रदेश, जहां भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान आम चुनाव में उठाना पड़ा और पार्टी अयोध्या की सीट हार गई, वहां मामला नाक का बन चुका था। इसीलिए पहले मिल्कीपुर की सीट पर अदालती मुकदमे का हवाला देकर चुनाव टाला गया, फिर कार्तिक पूर्णिमा के नाम पर तारीख ही बदल दी गई। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा पर तंज कसते हुए एक्स पर लिखा, ‘‘दरअसल बात यह है कि उप्र में ‘महा-बेरोजगारी’ की वजह से जो लोग पूरे देश में काम-रोजगार के लिए जाते हैं, वो दिवाली और छठ की छुट्टी लेकर उप्र आए हुए हैं और उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए वोट डालने वाले थे। जैसे ही भाजपा को इसकी भनक लगी, उसने उपचुनावों को आगे खिसका दिया, जिससे लोगों की छुट्टी खत्म हो जाए और वो बिना वोट डाले ही वापस चले जाएं। ये भाजपा की पुरानी चाल हैः हारेंगे तो टालेंगे।’’
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin November 25, 2024 sayısından alınmıştır.
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