सिरदर्द हैं पैट्स लवर
Sarita|September First 2022
लोगों में पैट्स पालने का ट्रैंड बढ़ रहा है पर इस के साथ वे जरूरी बातों पर ध्यान नहीं दे रहे, जो आगे जा कर उन की सिरदर्दी बन रही हैं.
शैलेंद्र सिंह
सिरदर्द हैं पैट्स लवर

हरों में 'पैट्स लवर्स' की संख्या बढ़ती जा रही है. कुत्ते के साथ ही साथ बिल्ली और दूसरे पैट्स भी आते हैं. कुत्ते को लेकर कई बार पड़ोसियों में आपस में झगड़े होने लगते हैं. कई बार लोग शौकिया पैट्स को पाल लेते हैं फिर आवारा छोड़ देते हैं. छोटे डौग्स को खिलौने जैसा समझने लगते हैं. ऐसा करने वाले सावधान हो जाएं. अब सरकार पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का सख्ती से पालन करने लगी है. पशु अधिकारों के लिए मेनका गांधी ने बड़ी लड़ाई लड़ी थी. जिस के बाद अब तमाम एनजीओ ऐसे बन गए हैं जो पशु अधिकारों की लड़ाई लड़ने लगे हैं. ध्यान रखें कि गाय पालना पैट रखना नहीं है. वह तो धार्मिक कर्तव्य है पर पैट की तरह गाय को शायद ही घर में कोई रखता है.

ऐसे में कोई भी गलती करना पशुओं को पालने वाले पर भारी पड़ सकता है. सरकारी कर्मचारी सड़कों पर घूम रहे पशुओं का भले ही ध्यान न रखें लेकिन अगर पशु पालने वाले के खिलाफ कोई शिकायत मिलेगी तो वे अपनी मनमानी पर उतर आएंगे. काला हिरन का शिकार करना फिल्म स्टार सलमान खान को भारी पड़ चुका है.

लखनऊ का चर्चित पिटबुल कांड 

पैट्स पालने वालों में सब से अधिक संख्या डौग पालने वालों की होती है. ये जहां रहते हैं वहां इन के पड़ोसी परेशान रहते हैं. इस की सब से बड़ी वजह यह है कि अब लोग खतरनाक किस्म के डौग पालने लगे हैं जिन को देख कर ही लोग डर जाते हैं. खासकर बच्चे बहुत डरते हैं. इस के अलावा कई बार डौग घरों के आसपास ही गंदगी करते हैं. ऐसे में डौग लवर जिस भी सोसाइटी में रहते हैं वहां लोगों के निशाने पर रहते हैं. सोसाइटी और अपार्टमैंट्स में भी इन के लिए अलग नियम बन गए हैं.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कैसरबाग महल्ले में एक घर में पिटबुल और लैब्राडोर प्रजाति के दो डौग्स पले हुए थे. घर में एक जवान लड़का अमित त्रिपाठी और उस की 82 साल की बूढ़ी मां सुशीला त्रिपाठी रहती थीं. मां टीचर के पद से रिटायर थी. बेटा जिम ट्रेनर के रूप में काम करता था. एक दिन घर में मां अकेली थी. पता नहीं किन हालातों में पिटबुल प्रजाति वाले कुत्ते ने उस को काट लिया. इस के बाद उन की बौडी से खून ज्यादा निकल गया और जब तक उस के बेटे को पता चला काफी देर हो चुकी थी. वह अपनी मां को ले कर अस्पताल गया. वहां पता चला मां की मौत हो चुकी थी.

Bu hikaye Sarita dergisinin September First 2022 sayısından alınmıştır.

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