बुलडोजर अब उस दैत्याकार मशीन का नाम नहीं रह गया है जिस का जायजनाजायज झोंपड़ों से ले कर बड़ीबड़ी इमारतों को ढहाने में इस्तेमाल किया जाता है बल्कि बुलडोजर अब एक सरकारी नीति बन गई है जो हर उस आवाज को कुचल देना चाहता है जो उस के मिशन में आड़े आती है. साल 2022 के आखिरी महीने में ऐसी कई घटनाएं हुईं जिन्होंने यह साबित कर दिया कि बुलडोजर संस्कृति अब विकराल विकृति की शक्ल ले चुकी है. अब जो भी सनातन या भगवा गैंग की मंशा व मनमानी पर असहमति या एतराज जताता है उस का अंजाम अच्छा तो कतई नहीं होता.
दिसंबर के तीसरे हफ्ते में शाहरुख खान अभिनीत फिल्म 'पठान' का एक गाना क्या रिलीज हुआ, भगवा बुलडोजर विचार मंच के कर्ताधर्ताओं ने देश सिर पर उठा लिया. इस गाने में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भगवा रंग की बिकिनी पहने शाहरुख से लिपटी नजर आ रही हैं. यह कहीं से भी किसी भी धर्म या संस्कृति का अपमान नहीं था लेकिन चूंकि भगवा सोच के अनुसार एक खूबसूरत और सैक्सी हिंदू ऐक्ट्रैस एक मुसलमान अभिनेता के गले लिपटी थी, इसलिए भगवा ठेकेदारों के सीनों पर सांप लोट गए.
विरोध का सार यह था कि हिंदू या सनातन धर्म या संस्कृति, कुछ भी कह लें, पर एक मुसलमान ऐक्टर ने प्रहार किया है, इसलिए इसे बरदाश्त नहीं किया जाएगा. जिस के मुंह में जो आया वह उस ने बका. इस पर कोई सैंसरशिप नहीं थी. भोपाल से लोकसभा के लिए चुनी गईं सांसद व कट्टरवादी हिंदू साध्वी प्रज्ञा सिंह भारती तो शाहरुख खान जैसे अभिनेता के हाथमुंह तोड़ने की धमकी देती नजर आईं. यह बुलडोजर मानसिकता का एक अलोकतांत्रिक नमूनाभर था. अच्छा तो उन का यह न कहना रहा कि जिन सिनेमाघरों में 'पठान' फिल्म प्रदर्शित होगी उन पर भी बुलडोजर चलवा दिया जाएगा. आने वाले वक्त में आप को और हमें ऐसे बुलडोजरी वक्तव्यों को सुनने को तैयार रहना चाहिए. ऐसे दृश्य देखने की अपने आप में हिम्मत पैदा कर लेनी चाहिए.
Bu hikaye Sarita dergisinin January First 2023 sayısından alınmıştır.
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