खूबसूरत और खिलीखिली सी मेघना औफिस में सब के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. जब से शाखा में मेघना ने जौइन किया है तब से ही वह पुरुषों को गुलाब और महिलाओं को कांटे की अनुभूति दे रही है. अरे नहीं भई, मेघना कोई फैशनपरस्त आधुनिक बाला नहीं है, जो अपने विशेष परिधानों से सब का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करे, वह तो कंधे तक कटे बालों की पोनी बनाए, कभी आरामदायक सूट तो कभीकभार जींस और शौर्ट कुरती में नजर आने वाली आम सी लड़की है, लेकिन उस की बड़ीबड़ी कजरारी आंखें. उफ्फ, किसी को भी अपने भीतर बंदी बना लें.
मेघना का रंग बेशक गोरा नहीं है, लेकिन सलोना अवश्य है. ठीक वैसा ही जैसा सावन में काले बादलों का होता है. मनोहारी, सम्मोहक और अपनी तरफ खींचने वाला.
सिर्फ रूप और लावण्य ही नहीं, बल्कि एक अन्य कारण भी है जो सब को मेघना की तरफ खींचता है. वह है उस का नाम. नहींनहीं, नाम नहीं, बल्कि उपनाम. दरअसल मेघना अपने नाम के साथ कोई उपनाम या जाति यानी सरनेम नहीं लगाती. भला आज के समय में भी ऐसा कहीं होता है? जब गलीगली में जातिधर्म के नाम पर लोग बंट रहे हैं, ऐसे में किसी साधारण आदमी का अपनी जाति के प्रति मोह न दिखाना कोई साधारण बात तो नहीं.
स्टाफ की महिला कार्मिकों ने अपने तमाम प्रयास कर देख लिए, लेकिन मजाल है कि मेघना अपनी जाति के बारे में सच उगल दे.
आप को मेरी जाति में इतना इंटरैस्ट क्यों है? क्या मेरा खुद का होना काफी नहीं है? अकसर ऐसे ही प्रतिप्रश्न दाग कर मेघना सामने वाले की बोलती बंद करने की कोशिश करती थी, लेकिन जनसाधारण की बोलती किसी पालतू तोते की जबान है क्या, जिसे आसानी से नियंत्रित कर के जब चाहो तब बंद किया जा सके. जितने मुंह उतनी बातें. शाखा में मेघना का सरनेम उस से कहीं अधिक चर्चा का विषय होने लगा था.
यह एक राष्ट्रीयकृत बैंक की मुख्य शाखा थी, जो जयपुर महानगर में स्थित थी. मेघना की पहली पोस्टिंग यहां सहायक ब्रांच मैनेजर के रूप में हुई थी. मृदु स्वभाव की मल्लिका मेघना हर समय अपने चेहरे पर आभूषण की तरह मुसकान सजाए हर ग्राहक का काम बड़ी तत्परता से निबटाती और दबाव के पलों में भी अपनेआप को सहज व सामान्य बनाए रखती. यह विशेषता भी उस के व्यक्तित्व की गरिमा को सवाया करती थी.
Bu hikaye Sarita dergisinin February Second 2023 sayısından alınmıştır.
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