"पुस्तकें पढ़ने का अपना मजा है" - प्रवीण मोरछले
Sarita|May First 2023
ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले निर्देशक प्रवीण मोरछले ने भले ही निर्देशन क्षेत्र में कदम रखने में अपना समय लगाया पर उन्होंने जिन विषयों को चुना उन में उन्होंने सामाजिक विषमताओं पर गहरी चोट की है. उन का जोर फिल्मों की विषयवस्तु पर अधिक रहता है.
शांतिस्वरूप त्रिपाठी
"पुस्तकें पढ़ने का अपना मजा है" - प्रवीण मोरछले

व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की शिक्षादीक्षा जिस स्कूल से हुई थी उसी स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने वाले और हरिशंकर परसाई के लेखन से प्रभावित होने वाले फिल्मकार प्रवीण मोरछले ने 4 फिल्में निर्देशित की हैं मगर इन के मानवीय विषयों ने उन की फिल्मों को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सराबोर कर दिया है. प्रवीण मोरछले की हर फिल्म अलगअलग विषयों पर है. उन्होंने गोवा, लद्दाख, कश्मीर के बाद अब मध्य प्रदेश के गांव में जा कर अपनी नई फिल्म 'सर मैडम सरपंच' को फिल्माया है.

हास्यव्यंग्य से भरपूर यह फिल्म ग्रामीण समस्याओं व वर्तमान राजनीति के साथ ही सवाल उठाती है कि आखिर पुस्तकों से राजनेताओं को खतरा क्यों महसूस हो रहा है.

निर्देशक प्रवीण सिनेमा की तरफ आकर्षित काफी समय बाद हुए. वे मध्य प्रदेश में पलेबढ़े हैं. यह महज संयोग है कि उन की शिक्षा उसी स्कूल से हुई जिस स्कूल से मशहूर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की शिक्षा हुई थी. उन के पिता भी उसी स्कूल में पढ़े थे. तो, स्वाभाविक तौर पर व्यंग्य व साहित्य के कुछ छींटे उन पर भी पड़े. इंदौर में उन की कालेज की पढ़ाई हुई. कालेज के जमाने में वे इंदौर में थिएटर भी करते रहे. उस के बाद वे कुछ दिनों के लिए कला जगत व थिएटर से कट गए थे पर जब वे मुंबई आए तो एक बार फिर उन के अंदर सिनेमा व कला का कीड़ा कुलबुलाया. मुंबई पहुंचने के बाद ही उन्होंने अपने फिल्म कैरियर की शुरुआत की.

प्रवीण मोरछले अपने विषयों की गंभीरता को ले कर उन पहलुओं के योगदान के बारे में कहते हैं, "हम जो कुछ होते हैं उस में हमारे परिवार का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. हमारा परिवार ही हमें एक आकार देता है. हमारे परिवार के लोगों ने मुझे सोचने की बहुत स्वतंत्रता दी, जिस के चलते मैं ने साहित्य पढ़ा. जब मैं ने साहित्य पढ़ा व थिएटर किया तब हर चीज बाजारू या बिकाऊ नहीं थी. हम गंभीरता से अपनी चीजों को करते थे."

Bu hikaye Sarita dergisinin May First 2023 sayısından alınmıştır.

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"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
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