किसी भी देश का सिनेमा उस देश का सांस्कृतिक राजदूत होता है. मगर अफसोस की बात यह है कि हमारे देश के फिल्मकार राजनीतिक उद्देश्य के लिए संस्कृति, भाषा, जीवनमूल्य, चरित्र के साथ खिलवाड़ करने से पीछे नहीं रहते. इस की मूल वजह यह है कि आज फिल्मकारों के लिए कम समय में ज्यादा धन कमाना और धर्मजनित समाज को स्थापित करना चरित्र, संस्कृति व जीवन मूल्यों से ऊपर हो गया है. जिस का एक उदाहरण मात्र वाल्मीकि की 'रामायण' से प्रेरित फिल्म 'आदिपुरुष' है जिसे भाजपा का पुरजोर समर्थन मिला है. फिल्मकार ने खुद अपनी फिल्म की शुरुआत में एक स्लाइड, सरकार का वरदहस्त, डाल कर इस बात का खुलासा किया है.
फिल्मकार के अनुसार, फिल्म के 'आदिपुरुष' को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आदि का आशीर्वाद मिला है.
सरकार का वरदहस्त
किसी फिल्म को देश के विभिन्न राज्यों के एक ही राजनीतिक दल से जुड़े मुख्यमंत्रियों के आशीर्वाद के अपने माने हैं. इसी आशीर्वाद के चलते जब 16 जून की सुबह साढ़े 7 बजे फिल्म के सिनेमाघरों में प्रदर्शन के साथ देशभर में दर्शक इस फिल्म के खिलाफ आंदोलन चलाते हुए तुरंत इसे बैन करने की मांग करने लगे, उस वक्त नएनए राष्ट्रवादी बने चापलूस तथा 'वन सांग वंडर' लेखक व गीतकार मनोज मुंतशिर 'एबीपी' टीवी चैनल पर प्रैस कौन्फ्रेंस कार्यक्रम में अपना इंटरव्यू दे रहे थे. जिस में एंकर व पत्रकार दिबांग ने उन से सवाल किया कि तो अब आप भाजपा की टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे या सीधे राज्यसभा में मनोनीत हो कर जाएंगे?
Bu hikaye Sarita dergisinin July-I 2023 sayısından alınmıştır.
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